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सिलीगुड़ी, 26 नवंबर (हि. स)। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सिलीगुड़ी में एक बड़ा महाकाल मंदिर बनाने घोषणा की है। सोमवार को राज्य कैबिनेट की मीटिंग में इस फैसले पर मुहर भी लग गई। एक ट्रस्ट बनाकर 17.41 एकड़ जमीन एक रुपया में सौंप दी जाएगी। उसके बाद वहां महाकाल मंदिर बनाया जाएगा।
पूर्व मेयर और नगर विकास मंत्री अशोक भट्टाचार्य ने इस फैसले का सीधा विरोध किया है। बुधवार को अशोक भट्टाचार्य ने पार्टी कार्यालय अनिल बिस्वास भवन में पत्रकारों से बात करते कहा कि राज्य सरकार कभी भी मंदिर नहीं बना सकती, यह गैर-कानूनी है। वह जमीन सिलीगुड़ी-जलपाईगुड़ी विकास प्राधिकरण (एसजेडीए) के पास थी। लेफ्ट सरकार के समय उस ज़मीन पर आईटी पार्क बनाने की कोशिश की गई थी। तृणमूल के सत्ता में आने के बाद वह काम आगे नहीं बढ़ा। अब उस ज़मीन की कीमत कम से कम 700 करोड़ रुपया है। उन्होंने कहा कि जहां उद्योग स्थापित होने से लोगों को रोजगार मिलना चाहिए था। वहां मंदिर बनाया जाएगा, जिसका वह विरोध करते है।
हाल ही में कैबिनेट मीटिंग के बाद मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने बताया था कि माटीगाड़ा पुलिस स्टेशन एरिया में 25.15 एकड़ जमीन है। जो लक्ष्मी टाउनशिप एंड होल्डिंग्स लिमिटेड के पास है। सिलीगुड़ी-जलपाईगुड़ी विकास प्राधिकरण (एसजेडीए) को सौंप दी जाएगी। इसमें से 17.41 एकड़ जमीन खाली पड़ी है और उसका इस्तेमाल नहीं हो रहा है। वह ज़मीन लैंड एंड लैंड रेवेन्यू डिपार्टमेंट के ज़रिए पर्यटन विभाग को सौंप दी जाएगी। मंदिर बनाने के लिए मुख्य सचिव की लीडरशिप में एक ट्रस्ट बनाया जाएगा, जिसमें जिला पुलिस, प्रशासनिक, उद्योगपति, समाज सेवक समेत कई लोग शामिल होंगे। वह ट्रस्ट मंदिर बनाने के सभी पहलुओं की देखरेख करेगा।
इससे पहले, राज्य सरकार ने धार्मिक पर्यटन की बात करते हुए दीघा में जगन्नाथ मंदिर बनवाया है। बाईपास पर दुर्गांगन बन रहा है। इस बार सिलीगुड़ी में महाकाल मंदिर बनाने का फैसला लिया गया है। सूत्रों का मानना है कि राज्य सरकार ने चुनाव से पहले हिंदू वोट को ध्यान में रखते हुए एक के बाद एक धार्मिक जगह बनाने की पहल की है।
हिन्दुस्थान समाचार / सचिन कुमार