यूकेडी नेता दिवाकर भट्ट का निधन, राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने जताया शोक
देहरादून, 25 नवंबर (हि.स.)। उत्तराखंड क्रांति दल (यूकेडी) के पूर्व केंद्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री दिवाकर भट्ट का मंगलवार शाम निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार थे। देहरादून में उनका उपचार चल रहा था। चिकित्सकों ने उन्हें घर भेज दिया था।
दिवाकर भट्ट का फाइल चित्र।


देहरादून, 25 नवंबर (हि.स.)। उत्तराखंड क्रांति दल (यूकेडी) के पूर्व केंद्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री दिवाकर भट्ट का मंगलवार शाम निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार थे। देहरादून में उनका उपचार चल रहा था। चिकित्सकों ने उन्हें घर भेज दिया था। उनके निधन पर राज्यपाल, मुख्यमंत्री, भाजपा, कांग्रेस और यूकेडी नेताओं ने शोक व्यक्त किया है।

दिवाकर भट्ट पिछले कई महीनों से गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे। इलाज के दौरान कुछ समय के लिए उनकी सेहत में सुधार भी देखा गया, लेकिन स्थिति लगातार बिगड़ती चली गई। हरिद्वार स्थित आवास पर दिवाकर भट्ट ने अंतिम सांस ली।

राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.) ने दिवाकर भट्ट के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति एवं शोकाकुल परिजनों को इस दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना की।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि दिवाकर भट्ट के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है। राज्य निर्माण आंदोलन से लेकर जन सेवा के क्षेत्र में उनके ओर से किए गए कार्य सदैव स्मरणीय रहेंगे।

कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने दिवाकर भट्ट के निधन को प्रदेश के लिए एक बड़ी क्षति बताया है। उन्होंने कहा कि फील्ड मार्शल के नाम से मशहूर दिवाकर भट्ट उत्तराखंड राज्य आंदोलन के अग्रणी नेताओं में रहे हैं। राज्य निर्माण में उनके संघर्ष को राज्य की जनता हमेशा याद रखेगी।

कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि उनके निधन से उत्तराखंड ने एक समर्पित आंदोलनकारी, दूरदर्शी नेता और जुझारू व्यक्तित्व को खो दिया है। पृथक राज्य उत्तराखंड के निर्माण में उनका योगदान अतुलनीय और प्रेरणास्पद रहा है। उन्होंने सदैव राज्य हित को सर्वोपरि रखते हुए जनसेवा की मिसाल पेश की। दिवाकर भट्ट का जीवन संघर्ष, समर्पण और राज्य के प्रति निष्ठा का प्रतीक था, जिसे उत्तराखंड की जनता सदैव आदर के साथ स्मरण रखेगी।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने दिवाकर भट्ट के राज्य निर्माण आंदोलन एवं उसके विकास में दिए योगदान को अभूतपूर्व बताया। उनके निधन को राज्य के राजनैतिक, सामाजिक जगत में बहुत बड़ी क्षति बताया। उन्होंने कहा कि भट्ट दृढ़ इच्छा शक्ति, सहृदय, स्थानीय मुद्दों पर गंभीर एवं संवेदनशील व्यक्तित्व वाले व्यक्ति थे। उनके नेतृत्व में हुआ श्रीयंत्र टापू आंदोलन, राज्य निर्माण संघर्ष में मील का पत्थर साबित हुआ था।

भाजपा प्रदेश मीडिया प्रमुख मनवीर सिंह चौहान ने कहा कि उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन को निर्णायक मोड़ देने के इस योगदान के लिए दिवाकर भट्ट हमेशा राज्यवासियों के मनमस्तिष्क में अंकित रहेंगे।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा कि दिवाकर भट्ट का निधन राज्य के लिए अपूरणी क्षति है। उन्होंने अपने जीवनकाल में जनहित, सामाजिक न्याय और विकास के मुद्दों को हमेशा प्राथमिकता दी। उनकी सरलता, मिलनसार स्वभाव और जनसेवा के प्रति समर्पण को सदैव स्मरण किया जाएगा। उन्होंने उत्तराखंड आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई और एक शक्तिशाली नेतृत्व दिया।

यूकेडी नेता जय प्रकाश उपाध्याय ने कहा कि उत्तराखंड राज्य बनने में जो योगदान फील्ड मार्शल दिवाकर भट्ट ने दिया उसको सदियों तक याद किया जाएगा। हमें गर्व है कि हमने उनके नेतृत्व में कई आंदोलनो में सहभाग किया है। फिल्ड मार्शल के सपनों का उत्तराखंड बनाने की लड़ाई जारी रहेगी।

दिवाकर भट्ट फील्ड मार्शल के रूप में जाने जाते थे। उत्तराखंड क्रांति दल (यकूेडी) के संस्थापकों में से एक थे। दिवाकर भट्ट उत्तराखंड राज्य आंदोलन के अग्रणी कार्यकर्ताओं में रहे हैं। उनके राजनीतिक सफर की शुरुआत यूकेडी से हुई। भट्ट ने लंबे समय तक इसी दल का सदस्य रहकर राज्य स्थापना आंदोलन का नेतृत्व किया। तब से दिवाकर राज्य निर्माण आंदोलन में लवगातार सक्रिय रहे। जब 1994 में उत्तराखंड राज्य आंदोलन की ज्वाला भड़की तो दिवाकर इस आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक थे। 2007 में दिवाकर भट्ट देवप्रयाग से भारी मतों से जीतकर विधायक बने। तब बी सी खंडूड़ी सरकार को यूकेडी का समर्थन था, तो यूकेडी कोटे से वह मंत्री भी बने। मंत्री रहते भट्ट की भाजपा से नजदीकियां बढ़ी तो उन्होंने 2012 का विधानसभा चुनाव कमल के निशान पर लड़ा और चुनाव हार गए।

यूकेडी अध्यक्ष काशी सिंह ऐरी से मतभेद हुआ तो पार्टी छोड़ दी और 2016 में भाजपा का दामन थामा। 2017 के चुनाव से ठीक पहले दिवाकर का भाजपा से मोहभंग हुआ और भाजपा छोड़ दी। तब निर्दलीय चुनाव लड़े और मामूली अंतर से हार गए। इसके बाद दिवाकर फिर से यूकेडी में लौट आए।

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हिन्दुस्थान समाचार / राजेश कुमार