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जगदलपुर, 25 नवंबर (हि.स.)। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत संचालित आईएफसी परियोजना में बस्तर जिले के तोकापाल, लोहंडीगुड़ा और जगदलपुर विकासखंड के संकुल संगठनों द्वारा स्थापित आजीविका सेवा केंद्र में चूजा ब्रुडिंग सेंटर का संचालन क्षेत्र के ग्रामीण परिवारों को स्थायी आजीविका देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है।
इन बु्रडिंग सेंटरों में चूजों की शुरुआती 15 दिनों तक विशेष देखभाल, तापमान नियंत्रण, पौष्टिक आहार और समय-समय पर टीकाकरण किया जा रहा है, ताकि मुर्गीपालन शुरू करने वाले परिवारों को पूरी तरह स्वस्थ और सक्षम चूजे उपलब्ध कराए जा सकें। इससे चूजों की मृत्यु दर में उल्लेखनीय कमी आती है और पालन का जोखिम भी कम होता है। परियोजना के तहत 30 गांवों के लगभग 300 पशुपालक परिवारों को प्रति परिवार 50 से 100 चूजे बु्रडिंग अवधि पूर्ण होने के बाद उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इससे उनके घरों में छोटे स्तर पर मुर्गीपालन की एक भरोसेमंद व्यवस्था विकसित होगी, जो आने वाले समय में आय का स्थायी स्रोत बनने की क्षमता रखती है।
ब्रुडिंग सेंटर की सुविधा ने न केवल चूजों की गुणवत्ता और उत्पादन को बढ़ाया है, बल्कि मुर्गी पालकों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बेहतर स्वास्थ्य, उचित आहार और रोग नियंत्रण के कारण चूजे तेजी से बढ़ते हैं, जिसके चलते किसानों को अपेक्षित लाभ मिलता है। साथ ही बु्रडिंग सेंटर के संचालन से स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर भी पैदा हो रहे हैं। ग्रामीण आजीविका को सशक्त बनाने की दिशा में उठाया गया यह कदम बस्तर के अनेक परिवारों के लिए आर्थिक आत्मनिर्भरता का नया रास्ता खोल रहा है।
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हिन्दुस्थान समाचार / राकेश पांडे