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नई दिल्ली, 25 नवंबर (हि.स.)। उच्चतम न्यायालय ने उस ईसाई सैन्य अधिकारी की याचिका खारिज कर दी, जिसे गुरुद्वारा में पूजा करने से मना करने पर नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था। चीफ जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता सेना में रहने लायक नहीं है, क्योंकि उसने अपने वरिष्ठ अफसर के आदेश का उल्लंघन किया था।
यह याचिका सैमुअल कमलेसन ने दायर की थी। याचिकाकर्ता तीसरी कैवलरी रेजिमेंट में लेफ्टिनेंट थे। याचिकाकर्ता ने गुरुद्वारे में पूजा करने के लिए जाने से अपने वरिष्ठ अधिकारी के आदेश का पालन करने से मना कर दिया था। याचिका में कहा गया था कि उसका धर्म इसकी इजाजत नहीं देता है। इसके बाद उसे सेना के अनुशासन को तोड़ने के लिए निकाल दिया गया। याचिकाकर्ता ने अपनी बर्खास्तगी के खिलाफ मई में दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। दिल्ली उच्च न्यायालय ने सेना के फैसले को सही ठहराया था। उसके बाद याचिकाकर्ता ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील गोपाल शंकरनारायण ने कहा कि याचिकाकर्ता ने होली और दीपावली जैसे त्यौहारों में हिस्सा लेकर दूसरे धर्मों के प्रति सम्मान दिखाया, लेकिन एक ही गलती के लिए उसे नौकरी से निकाल दिया गया। शंकरनारायण ने संविधान में धर्म को मानने के अधिकार का भी हवाला दिया, लेकिन कोर्ट ने उनकी दलील को नामंजूर कर दिया। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता भले ही एक शानदार अधिकारी हो सकता है लेकिन वह भारतीय सेना के लिए योग्य नहीं है।
हिन्दुस्थान समाचार/संजय
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हिन्दुस्थान समाचार / वीरेन्द्र सिंह