Enter your Email Address to subscribe to our newsletters

दतिया, 25 नवंबर (हि.स.)। बना को चढ़रओं हरदी तेल, बना मोरो पीरो पर गओं री, मौका था भगवान श्रीराम के विवाह समारोह का जहाँ महिलाऐं मंगल गीत ढोलक की मधुर आबाज में गा रही थी हर कोई बारात की तैयारी में था तो महिलाऐं अपनी रस्मे पूरी कर रही थी। बारात की तैयारियाँ पूरी हुई और जैसे ही चारों भाईयों की बारात पहुंची तो महिलाओं ने बारात के स्वागत में गीत गाये आई रे बारात जनक जी के द्वारे, राजकुमारन संग आये दशरथ, राम विवाह के अवसर का जहाँ रामलला मंदिर असनई, अनामय धाम, दुर्गेश्वर जनकपुरी का जहाँ माताएँ, बहिनें सिर पर कलश रखे श्रीराम बारात का मंगल गीत गाकर स्वागत कर रही थी।
वहीं रामजानकी मंदिर के पुजारी लला महाराज ने बताया कि विवाह पंचमी को लेकर भक्तों में खासा उत्साह दिखाई दे रहा है। और मंदिर में भगवान श्रीराम और माता सीताजी के विवाह समारोह सम्पूर्ण विधि विधान के साथ भगवान का विवाह समारोह सम्पन्न हुआ। श्रीराम मंदिरों को जनकपुरी की तरह सजाया गया जहाँ राजा दशरथ अपने चारों बेटे राम,लक्ष्मण,भरत,शत्रुघन, ऋषि मुनियों, गुरूजनों के साथ ग्राम रिछारी से बारात लेकर पहुंचे। तो यह दृश्य देखने लायक था। जहाँ चारो ओर मंगल गीत गाये जा रहे थे। महिलाएँ सिर पर कलश रखे स्वागत गीत गाकर बारात का इंतजार कर रही थी। बारात जैसे ही जनकपुरी धाम असनई रामलला मंदिर पहुंची तो मंदिर के पुजारी पं.कृष्ण प्रकाश लिटौरिया, अनामय धाम पर भक्तगणों ने दुर्गेश्वर मंदिर पर उपस्थित भक्तजनों ने आगुवानी समाजसेवी ने की। महिलाएँ गीत गा रही थी। हरे बाँस मण्डप छाए , सिया जू को राम व्यावन आये।
यह आयोजन नगर के प्रसिद्ध मंदिर अनामय आश्रम, असनई रामलला मंदिर, किला चैक, अवध विहारी मंदिर दुर्गेश्वर मंदिर, राम जानकी मंदिर लाला के तालाब पर तीन दिन से चल रहा था। चारों ओर हर्ष और उल्लाश का माहौल ऐसे लग रहा था। जैसे भगवान साक्षात बैठे है। महिलाएं मण्डव के नीचे मंगल गीत गाकर ढोलक की थाप पर नृत्य कर रही थी। वैवाहिक धार्मिक गीत गाकर वातावरण को धर्ममय बना दिया।
आज राम कलेवा में पांव पखराई और गायन होता हैं
राम कलेवा का गायन से पूर्व गायन करने वाले मुखिया को सम्मानित करना के लिए तिलक और वस्त्र भेठकर सम्मान किया जाता है उनके साथ ही जो भी कलाकार कलेवा में वाद्य यंत्र की संगत करते हैं उन सभी को आचार्य या मंदिर पुजारी द्वारा सम्मानित किया जाता है।
रामकलेवा में जहां भांति भांति का प्रसाद लगाया जाता है जिसका उल्लेख गायक पद गायन में करती हैं जिसका वितरण भी होता है साथ ही समाज गायकों को पान खिलाया जाता है जिसका अपना महत्व होता है जिसे सबसे पहले समाज की पोथी यानी पवित्र ग्रंथ को प्रसाद स्वरूप में लगाकर सम्मान से किया जाता है उसके बाद सभी कलाकारों को प्रदान किया जाता है। राम विवाह के समाज गायन की जो दतिया की शेली है उसमें समाज का एक मुखिया होता है शेष कलाकार गायक होते हैं उनको झेला कहा जाता हैं पूर्व में समाज गायन में मृदंग वादन की परंपरा थी क्योंकि यह गायकी ध्रुपद पर आधारित है परंतु मृदंग बादको के अभाव में अब तबला और ढोलक का वादन संगत के रूप में होता है।
हिन्दुस्थान समाचार/संतोष तिवारी
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / राजू विश्वकर्मा