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सारण, 25 नवंबर (हि.स.)। हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेल में इस वर्ष एक अनूठी साहित्यिक गूंज सुनाई देगी। साहित्य के साझा पर्व का आयोजन 26 और 27 नवंबर को किया जा रहा है, जो साहित्य प्रेमियों और जिज्ञासुओं के लिए ज्ञान, विचार और काव्य की एक महत्वपूर्ण संगम स्थली बनेगा।
दो दिवसीय यह उत्सव बिहार की साहित्यिक और सांस्कृतिक विरासत को समर्पित है। इसमें देश के कई जाने- माने साहित्यकार, कवि, और विचारक भाग लेंगे। उत्सव का शुभारंभ 26 नवंबर को दोपहर 12:00 बजे उद्घाटन सत्र से होगा। उद्घाटन के तुरंत बाद पहला सत्र 12:30 बजे से 1:30 बजे तक तेरा मेला पीछे छूटा विषय पर आयोजित होगा। दोपहर 1:40 बजे से 2:40 बजे तक का अगला सत्र साहित्य लोक में बटोहिया पर केंद्रित होगा। इसके बाद, 2:50 बजे से 3:30 बजे तक कथा तथा उपन्यास की चुनौतियां विषय पर एक विशेष बातचीत का आयोजन किया गया है। अगला सत्र कवि से बातचीत का होगा, जो 3:40 बजे से 4:20 बजे तक चलेगा। प्रथम दिवस का समापन 4:30 बजे से 6:00 बजे तक होने वाले कविता पाठ के सत्र से होगा। इस सत्र में कविता की शक्ति का अनुभव करने का अवसर मिलेगा, जिसमें कवि अपनी रचनाओं का पाठ करेंगे।
दूसरे दिन 27 नम्बर की शुरुआत 12:00 बजे से होगी और यह समकालीन चुनौतियों, इतिहास और आधुनिक तकनीक पर केंद्रित होगा। पहला सत्र 12:00 - 13:00 बजे से साहित्य को बिहार की देन विषय पर होगा। जबकि दूसरा सत्र 13:05 - 14:15 बजे तक बिहार का इतिहास, पुरातत्व और परंपरा आधारित रहेगा। तीसरा सत्र 14:30 - 15:30 बजे से सोशल मीडिया के दौर में किताबों की प्रासंगिकता और मौलिकता विषय पर आयोजित होगा। जबकि चौथा सत्र 15:45 - 16:25 बजे से कविता पाठ के रूप में होगा। जबकि उत्सव का अंतिम सत्र 16:30 - 18:00 बजे तक गजल पाठ के साथ अपने समापन की ओर बढ़ेगा, जहाँ देश भर के गजलकार अपनी मधुर रचनाएं प्रस्तुत करेंगे।
साहित्योत्सव 2025 का मुख्य आकर्षण कथा, उपन्यास और सोशल मीडिया के दौर में साहित्य की बदलती भूमिका विमर्श पर केंद्रित होगा। यह उत्सव साहित्य, इतिहास और आधुनिकता के बीच एक सेतु का निर्माण करेगा, जिससे सोनपुर मेला एक बार फिर अपनी गौरवशाली परंपराओं को स्थापित करेगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / धनंजय कुमार