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धर्मशाला, 25 नवंबर (हि.स.)। हिमाचल विधानसभा के शीतकालीन सत्र से ठीक पहले देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की फिलोसाॅफी को समझाती 'द विजनरी' नामक किताब ने प्रदेश की सियासत में तूफान खड़ा कर रखा है। विपक्ष लगातार इस किताब पर सवाल उठा रहा है तो हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन डाॅ राजेश शर्मा की भूमिका को भी कटघरे में खड़ा कर रहा है। इस किताब को लेकर लगातार विपक्ष के हमलावर रुख के बीच सामने आते हुए डाॅ राजेश शर्मा ने कहा है कि नेहरू कांग्रेस के नहीं बल्कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री थे, विपक्ष को भी उनकी नीतियों का प्रचार-प्रसार का करना चाहिए। डाॅ राजेश शर्मा ने विपक्ष से आग्रह किया है कि वह बुधवार से शुरू होने जा रहे विधानसभा के शीतकालीन सत्र से पहले शिक्षा बोर्ड के धर्मशाला स्थित कार्यालय में आए, वहां बैठकर हमारे साथ नेहरू पर जारी हुई किताब को समझने का प्रयास करे।
डाॅ राजेश शर्मा ने कहा है कि पंडित जवाहर लाल नेहरू देश के प्रथम प्रधानमंत्री थे, इस नाते उनसे जुड़ी हर बात एक अलग मायने रखती है,उन्हीं के चलते आज हम खुले में आजादी की सांसे ले रहे हैं। नेहरू अपने आप में एक विचारधारा है, उस विचारधारा को मिटाने के पिछले कुछ वर्षों से जो प्रयास हो रहे हैं, मैं तो बस उसी नेहरू की विचारधारा को जिंदा रखने की बात कर रहा हूं। रही बात कांग्रेसी विचारधारा की तो जब नेहरू जी का नाम आता है तो कांग्रेस का नाम अपने आप ही जुडने लगता है। हालांकि,इसमें कुछ गलत नहीं है,नेहरू के विजन उनकी फिलोसाॅफी से अगर बच्चों को अवगत करवाने में भी विपक्ष को दिक्कत है तो हम इसमें क्या कर सकते हैं। विपक्ष को इन बातों का विरोध करने के बजाए नेहरू को समझना चाहिए, पढ़ना चाहिए, युवा पीढ़ी तक पहुंचाने का बीड़ा उठाना चाहिए।
बोर्ड चेयरमैन डाॅ राजेश शर्मा ने कहा है कि दूसरी बात ये है कि द विजनरी नामक किताब से विपक्ष को किस बात की दिक्कत है। अगर इस किताब को हमने हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के मार्फत युवा पीढ़ी तक पहुंचाने का लक्ष्य हमने रखा तो उससे बोर्ड की आमदन भी बढ़ेगी। चूंकि इस किताब का पचास रुपए मूल्य भी निर्धारित किया गया है। विपक्ष को चाहिए कि इस किताब के प्रचार-प्रसार में मदद करे। अगर विपक्ष को लगता है कि इसमें देश के शिक्षा मंत्री का भी संदेश होना चाहिए तो वह उस संदेश को हम तक पहुंचाने में हमारी मदद करे। हम उसे भी प्रकाशित करने से गुरेज नहीं करेंगे।
डाॅ राजेश ने कहा है कि मेरा विपक्ष से आग्रह है कि अगर हिमाचल प्रदेश से चिट्टा को मिटाना चाहते हैं तो इस किताब का विरोध नहीं बल्कि इसके समर्थन में आगे आकर इस किताब को थाम ले, ताकि हम अपनी युवा पीढ़ी का ध्यान दूसरी तरफ डायवर्ट कर सके। इस किताब के दो फायदे होंगे,एक तो हमारी युवा पीढ़ी का ध्यान डायवर्ट होगा दूसरा मोबाइल से उसे दूर ले जाने में भी कहीं ना कहीं मदद होगी। इससे कही ना कही चिट्टा के चंगुल में फंस रही युवा पीढ़ी को बचाने में भी हम मिलकर मदद कर सकेंगे।
हिन्दुस्थान समाचार / सतेंद्र धलारिया