Enter your Email Address to subscribe to our newsletters

मुख्य अतिथि बनीं लेखिका व समाजसेवी सुधा मूर्ति
अहमदाबाद, 25 नवंबर (हि.स.)। शांतिग्राम स्थित अदाणी इंटरनेशनल स्कूल (एडीआईएस) में वार्षिक पढ़ाई और स्टोरी फेस्टिवल ‘बुकफ़्लिक्स’ के तीसरे संस्करण का सोमवार को शानदार शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम में देश की प्रख्यात लेखिका, समाजसेवी और पद्म भूषण सम्मानित सुधा मूर्ति मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं।
एडीआईएस की प्रमोटर नम्रता अदाणी ने उनका स्वागत करते हुए कहा कि बुकफ्लिक्स के माध्यम से स्कूल का उद्देश्य बच्चों में पढ़ने का आनंद जगाना, जिज्ञासा बढ़ाना और मूल्यों को मजबूत करना है।
सुधा मूर्ति ने अपने 30 मिनट के विशेष संबोधन में पढ़ने की आदत, कल्पनाशीलता और जीवन-मूल्यों पर बच्चों से सरल भाषा में बातचीत की। उन्होंने कहा कि स्कूल में मिलने वाले अनुभव “पत्थर हैं जो समय के साथ हीरे बनते हैं।” उन्होंने छात्रों को हर गतिविधि में बढ़-चढ़कर भाग लेने और अपनी प्रतिभा को मेहनत व अनुशासन से निखारने की प्रेरणा दी।
अभिभावकों को संबोधित करते हुए उन्होंने बच्चों पर अपने अधूरे सपनों को थोपने के बजाय उन्हें अपनी राह चुनने की आज़ादी देने पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि पढ़ने से बच्चों में सहानुभूति, समझ और मजबूत सोच विकसित होती है—और यह देखकर उन्हें खुशी है कि एडीआईएस पढ़ने को सीखने की प्रक्रिया के केंद्र में रखता है।
स्कूल के छात्रों ने अपनी प्रिय लेखिका को दो विशेष किताबें भेंट कीं—एक में बच्चों ने सुधा मूर्ति की कहानियों को आईबी लर्नर प्रोफाइल से जोड़ा, जबकि दूसरी माध्यमिक कक्षाओं के छात्रों द्वारा लिखे गए पत्रों का संग्रह थी, जिसमें बच्चों ने बताया कि उनकी रचनाओं ने उन्हें कैसे बेहतर और संवेदनशील इंसान बनने की प्रेरणा दी।
छात्रों ने एक सामूहिक कला-कृति “समवृद्धि” भी प्रस्तुत की—जो जिज्ञासा, इनोवेशन, करुणा, अनुशासन और दृढ़ता जैसे मूल्यों का रंगीन कोलाज है। इसे देखकर सुधा मूर्ति भावुक हो उठीं।
बुकफ़्लिक्स 2025 तीन दिनों तक चलेगा, जिसमें वर्कशॉप, स्टोरीटेलिंग, कैरेक्टर लैब्स, क्रिएटिव राइटिंग और लेखक–छात्र संवाद जैसी कई गतिविधियाँ शामिल होंगी। कार्यक्रम की घोषणा करते हुए नम्रता अदाणी ने कहा—“पढ़ने का आनंद, कहानियों का जादू और रचनात्मकता की शक्ति को दिल से महसूस करें।”
बुकफ़्लिक्स अब एडीआईएस की विद्यार्थी-केंद्रित शिक्षा और समग्र विकास की पहचान बन चुका है।
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / यजुवेंद्र दुबे