धमतरी : फसल चक्र परिवर्तन को बढ़ावा देने किसान ले रहे दलहन तिलहन की फसल
धमतरी, 25 नवंबर (हि.स.)। जिले में कृषि उत्पादन को स्थायी एवं संतुलित बनाने के उद्देश्य से कलेक्टर के निर्देशन में फसल चक्र परिवर्तन अभियान तेजी से आगे बढ़ रहा है। खरीफ एवं रबी दोनों मौसम में धान की भरपूर पैदावार और सिंचाई के लिए नहरों तथा लगभग 30 ह
खेत की मेड़ पर तैयार हो रही राहर की फसल


धमतरी, 25 नवंबर (हि.स.)। जिले में कृषि उत्पादन को स्थायी एवं संतुलित बनाने के उद्देश्य से कलेक्टर के निर्देशन में फसल चक्र परिवर्तन अभियान तेजी से आगे बढ़ रहा है। खरीफ एवं रबी दोनों मौसम में धान की भरपूर पैदावार और सिंचाई के लिए नहरों तथा लगभग 30 हजार नलकूपों पर निर्भरता के कारण बढ़ते जल संकट को देखते हुए प्रशासन ने फसल विविधिकरण को प्राथमिकता दी है।

कलेक्टर अबिनाश मिश्रा के मार्गदर्शन में जिले के सभी विकासखण्डों में फसल चक्र परिवर्तन कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है, जिनमें लगभग 50 गांव शत-प्रतिशत फसल चक्र अपनाने की दिशा में तैयार हो चुके हैं। कृषि विभाग की मैदानी टीम द्वारा सतत प्रचार-प्रसार, किसानों से व्यक्तिगत संपर्क और गांव-गांव जागरूकता गतिविधियाँ चलाई जा रही हैं, साथ ही प्रत्येक विकासखण्ड में कम से कम 10 ग्राम पंचायतों को पूर्ण फसल चक्र अपनाने का लक्ष्य तय किया गया है।

उप संचालक कृषि मोनेश साहू ने बताया कि किसानों को ग्रीष्मकालीन धान के स्थान पर दलहनी-तिलहनी, लघु धान्य तथा मक्का जैसी वैकल्पिक फसलों को अपनाने हेतु प्रेरित किया जा रहा है तथा ग्राम पंचायतों से प्रस्ताव पारित कर फसल चक्र को संस्थागत रूप देने की प्रक्रिया भी प्रारंभ हो गई है।

विगत वर्ष परसतराई, रांवा और पचपेड़ी गांवों को शत-प्रतिशत फसल चक्र अपनाने पर सम्मानित किया गया था, और इस वर्ष रबी 2025-26 में भी जहां धान की जगह दलहनी-तिलहनी फसलों का रकबा बढ़ेगा, उन गांवों को सम्मानित किया जाएगा। फसल चक्र को गति देने के लिए समितियों एवं ग्रामों में शिविर आयोजित कर किसानों को ऋण वितरण, बीज वितरण, बीज उत्पादन तथा विभागीय योजनाओं की जानकारी दी जा रही है। जिले की 44 प्राथमिक साख सहकारी समितियों में बीज का पर्याप्त भंडारण उपलब्ध है, जिनमें 93.20 क्विंटल गेहूं, 347.70 क्विंटल चना, 23.10 क्विंटल तिवड़ा और 16.40 क्विंटल सरसों संग्रहित है। कृषकों से अपील की गई है कि वे अपने नजदीकी सहकारी समितियों एवं ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों से संपर्क कर बीज उठाव करें और बीज उत्पादन में शामिल किसान अनिवार्य रूप से बीज प्रसंस्करण केंद्र में पंजीयन कराएं। प्रशासन का यह प्रयास जिले में कृषि को अधिक लाभकारी, टिकाऊ और जल-संरक्षणोन्मुख बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

हिन्दुस्थान समाचार / रोशन सिन्हा