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जम्मू, 25 नवंबर (हि.स.)। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ), क्षेत्रीय कार्यालय जम्मू ने भारत की संसद द्वारा अधिनियमित चार श्रम संहिताओं के प्रावधानों पर विभिन्न ट्रेड यूनियनों के प्रतिनिधियों को जागरूक करने के उद्देश्य से एक संगोष्ठी का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का मुख्य लक्ष्य श्रमिक प्रतिनिधियों को नए श्रम एवं सामाजिक सुरक्षा ढांचे की बेहतर समझ देना तथा उनके साथ सूचित और रचनात्मक संवाद को बढ़ावा देना था। संगोष्ठी में जेएंडके और लद्दाख के प्रतिष्ठित श्रमिक नेताओं, नर सिंह नरानिया, अध्यक्ष, जम्मू संभाग (जेएंडके स्टेट सेंटर लेबर यूनियन), अशोक चौधरी, आयोजन सचिव (बीएमएस), हरबंस चौधरी, वरिष्ठ अधिकारी (भारतीय मजदूर संघ), दीप मेहरा, सचिव (किश्तवाड़ प्रांत, जेएंडके स्टेट सेंटर लेबर यूनियन) और एजाज अहमद, जिला अध्यक्ष (किश्तवाड़) ने भाग लिया।
कार्यक्रम के दौरान औद्योगिक संबंध संहिता 2020, सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020, व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य शर्तें संहिता 2020 और वेतन संहिता 2019 के प्रमुख प्रावधानों पर विस्तृत चर्चा की गई। आरपीएफसी-1 ने बताया कि ये श्रम संहिताएँ कई केंद्रीय श्रम कानूनों को समेकित करके अनुपालन को सरल बनाती हैं, साथ ही सामाजिक सुरक्षा को और मजबूत करती हैं तथा विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत कर्मचारियों के कार्यस्थल मानकों में सुधार लाती हैं। ईपीएफओ टीम ने वेतन से जुड़ी परिभाषाओं के मानकीकरण, न्यूनतम मजदूरी और भुगतान प्रावधानों के साथ-साथ विवाद समाधान तंत्र, औद्योगिक शांति, कार्यस्थल सुरक्षा, स्वास्थ्य और कल्याण उपायों पर भी व्याख्या प्रस्तुत की। एम्प्लॉयर्स की कानूनी जिम्मेदारियों और सुरक्षा प्रावधानों को विशेष रूप से रेखांकित किया गया। सेमिनार में असिस्टेंट पीएफ कमिश्नर सत्य प्रकाश, एनफोर्समेंट ऑफिसर देविंदर सिंह और एनफोर्समेंट ऑफिसर बालकृष्ण भी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के अंत में ईपीएफओ जम्मू ने सोशल सिक्योरिटी डिलीवरी को मजबूत करने और श्रमिक संगठनों के साथ निरंतर सहयोग को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। क्षेत्रीय कार्यालय ने इस बात पर जोर दिया कि कर्मचारियों, नियोक्ताओं और ईपीएफओ के बीच सतत सहयोग ही इन श्रम संहिताओं के लाभों को पूरी पात्र कार्यबल तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
हिन्दुस्थान समाचार / राहुल शर्मा