तीन दिवसीय 16वीं आईटीएचसी अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस सम्पन्न
धर्मशाला, 23 नवंबर (हि.स.)। धर्मशाला स्थित केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश में 21 से 23 नवंबर के बीच आयोजित 16वीं आईटीएचसी अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस रविवार को सम्पन्न हो गई। समापन समारोह की अध्यक्षता कुलपति प्रो. डॉ. सत प्रकाश बंसल ने की। सम्मे
कॉन्फ्रेंस के समापन पर संयुक्त चित्र में प्रतिभागी।


धर्मशाला, 23 नवंबर (हि.स.)। धर्मशाला स्थित केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश में 21 से 23 नवंबर के बीच आयोजित 16वीं आईटीएचसी अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस रविवार को सम्पन्न हो गई। समापन समारोह की अध्यक्षता कुलपति प्रो. डॉ. सत प्रकाश बंसल ने की। सम्मेलन का विषय सतत पर्यटन और कल्याण : हरित भविष्य का मार्ग रहा।

अपने संबोधन में कुलगुरु प्रो. बंसल ने 21वीं सदी में भारत के तेज़ उभार पर प्रकाश डाला और बताया कि हाल के जी20 शिखर सम्मेलन तथा जोहान्सबर्ग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भव्य स्वागत ने विश्व मंच पर भारत की बढ़ती प्रतिष्ठा को स्पष्ट कर दिया है। उन्होंने कहा कि भारत की यह सफलता हमारी भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित है, जो आज विश्व को नेतृत्व दे रही है।

आईटीएचसी के अध्यक्ष होने के नाते कुलगुरु प्रो. बंसल ने देश-विदेश से आए सभी विद्वानों, विशेषज्ञों और प्रतिभागियों का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में जो महत्वपूर्ण मुद्दे उठे हैं, उन्हें विस्तृत रिपोर्ट के रूप में भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय को भेजा जाएगा ताकि नीति-निर्माण में इन सुझावों का उपयोग हो सके।

सम्मेलन में कई विशेषज्ञों ने महत्वपूर्ण विचार रखे। यूनाइटेड किंगडम की सदरलैंड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ब्रेमपोटन ने कहा कि अब समय आ गया है कि हम व्यक्तिगत और संस्थागत स्तर पर सतत पर्यटन को व्यवहार में उतारें। उन्होंने ऊर्जा ऑडिट और संसाधन उपभोग ऑडिट को नियमित रूप से अपनाने की बात कही। इसी प्रकार हरियाणा स्किल यूनिवर्सिटी के कुलगुरु प्रो. दिनेश कुमार ने पर्यटन और आतिथ्य उद्योग में वैश्विक स्तर पर अपनाई जा रही अच्छी प्रथाओं को भारत में लागू करने का आह्वान किया।

समापन सत्र में प्रो. डॉ. सत प्रकाश बंसल जी ने आश्वासन दिया कि सम्मेलन के निष्कर्षों को सुंडरलैंड यूनिवर्सिटी (यूके), हावर्ड यूनिवर्सिटी (यूएसए) और आईटीएचसी परिवार के साथ मिलकर विस्तृत रूप से दस्तावेज़ित किया जाएगा और संबंधित विभागों व सरकारी संस्थाओं को भेजा जाएगा ताकि भविष्य में इसका व्यवहारिक उपयोग हो सके।

हिन्दुस्थान समाचार / सतेंद्र धलारिया