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धर्मशाला, 23 नवंबर (हि.स.)। पूर्व उद्योग मंत्री एवं विधायक बिक्रम ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड अध्यक्ष के उस बयान की कड़ी निंदा की है जिसमें उन्होंने कहा है कि पाठ्यक्रम में कांग्रेस की विचारधारा शामिल की जाएगी। बिक्रम ठाकुर ने कहा कि यह बयान शिक्षा के राजनीतिकरण का खुला प्रमाण है और यह स्पष्ट करता है कि मुख्यमंत्री सुक्खू ने शिक्षा बोर्ड जैसी महत्वपूर्ण संस्था को कांग्रेस के एजेंडे को लागू करने का माध्यम बना दिया है।
रविवार को जारी एक प्रेस बयान में उन्होंने कहा कि शिक्षा बोर्ड का अध्यक्ष किसी शिक्षाविद, अकादमिक अनुभव रखने वाले व्यक्ति को होना चाहिए न कि मुख्यमंत्री के राजनीतिक हित साधने वाले नियुक्त व्यक्ति को। बच्चों की किताबों को कांग्रेस विचारधारा का प्रचार–पत्र बनाने की अनुमति हिमाचल कभी नहीं देगा। शिक्षा स्वतंत्र सोच को विकसित करने का माध्यम है, न कि किसी पार्टी की विचारधारा थोपने का।
बिक्रम ठाकुर ने कहा कि सुक्खू सरकार बोर्ड को मज़बूत करने के बजाय उसे कमजोर करने, स्कूलों को जबरन सीबीएसई में बदलने और टिकट कटने के बाद राजनीतिक नियुक्तियाँ देने में लगी है। ऐसे प्रयास शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद करने वाले हैं और भाजपा इस प्रकार के राजनीतिकरण का पुरजोर विरोध करेगी।
एचआरटीसी के पेंशनर्स को अभी तक नही मिली पेंशन
बिक्रम ठाकुर ने एचआरटीसी पेंशनरों की पेंशन और मेडिकल बिलों के लगातार लंबित होने पर सरकार को घेरते हुए कहा कि नवंबर का आधा महीना बीत जाने के बावजूद पेंशन जारी न होना पेंशनरों के साथ क्रूर मज़ाक है। उन्होंने कहा कि वृद्ध पेंशनर आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं और इलाज करवाने के लिए अपनी जमा पूंजी खर्च करने को मजबूर हैं, जबकि सरकार उनकी समस्याओं की अनदेखी कर रही है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने चुनावों से पहले पेंशनभोगियों के हितों की रक्षा का वादा किया था लेकिन आज हालत यह है कि पेंशनरों को अपने अधिकार के लिए दर–दर भटकना पड़ रहा है। महीनों से लंबित मेडिकल बिलों के भुगतान को लेकर सरकार की चुप्पी उसकी संवेदनहीनता को साबित करती है।
बिक्रम ठाकुर ने कहा कि एचआरटीसी की स्वर्ण जयंती पर मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणाएं मात्र भाषणों तक सीमित रहीं और पेंशनरों के लिए एक भी ठोस कदम नहीं उठाया गया। उन्होंने मांग की कि पेंशन और मेडिकल बिलों का तत्काल भुगतान किया जाए ताकि पेंशनरों को सम्मानजनक जीवन मिल सके।
हिन्दुस्थान समाचार / सतेंद्र धलारिया