पुलिस सुधारों की अराजपत्रित अधिकारी सेवानिवृत एसोसिएशन ने फिर उठाई मांग
नई दिल्ली, 23 नवंबर (हि.स.)। देश में पुलिस सुधारों के बिना पुलिसिया व्यवस्था ध्वस्त होने के साथ लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के सामने भी खतरा पैदा हो रहा है। दिल्ली पुलिस अराजपत्रित अधिकारी सेवानिवृत एसोसिएशन ने रविवार को दिल्ली के श्रीनिवासपुरी में प्रे
कॉन्फ्रेंस में मौजूद रिटायर्ड पुलिस अधिकारी


नई दिल्ली, 23 नवंबर (हि.स.)। देश में पुलिस सुधारों के बिना पुलिसिया व्यवस्था ध्वस्त होने के साथ लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के सामने भी खतरा पैदा हो रहा है। दिल्ली पुलिस अराजपत्रित अधिकारी सेवानिवृत एसोसिएशन ने रविवार को दिल्ली के श्रीनिवासपुरी में प्रेस वार्ता में इस विषय पर सरकार से लेकर अदालत तक लगातार लड़ाई जारी रखने की बात कही।

संघ ने कहा कि उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस प्रमुख प्रकाश सिंह भी इस मामले को अदालत तक ले जा चुके हैं। लेकिन सरकार इस विषय पर गंभीरता नहीं दिखा रही। बीते दिन कई घटनाओं ने दोबारा इस मुद्दे को फिर चर्चा में ला दिया है। इसलिए पुलिस एसोसिएशन बहुत जल्द इस मुद्दे पर हुंकार भरने का फैसला किया है। हरियाणा के आईपीएस वाई पूरन कुमार की जाति सूचक टिप्पणी के कारण खुदकुशी ताजा उदाहरण है। हरियाणा प्रदेश पुलिस विशेष कर जिला गुरुग्राम व फरीदाबाद में सरेआम भूमाफियाओं की गिरफ्त में कार्यरत है, जहां वरिष्ठ नागरिक व महिलाओं और रिटायर्ड सुरक्षा प्रहरियों को सरेआम अपमानित करना आम बात है । यह सब पुलिस सुधार नही होने के कारण भी हो रहा है।

दिल्ली पुलिस अराजपत्रित अधिकारी सेवानिवृत एसोसिएशन के अध्यक्ष व भारतीय पुलिस जनकल्याण परिषद के उपाध्यक्ष छिद्दा सिंह रावत का कहा कि दिल्ली पुलिस में सैकड़ों पुलिस मुलाजिम बीमारी के दौरान अधिकारी के अमानवीय व्यवहार, प्रताड़ना ,उत्पीड़न सहने को विवश है। जब दिल्ली पुलिस भारत के केंद्रीय गृहमंत्री, रक्षा मंत्री सहित सभी महत्वपूर्व लोगो की सुरक्षा देख रही है तो फिर उनकी रखवाली कौन करेगें। पुलिस के एक उपायुक्त को पिछले दिनों शोषण का शिकार होना पड़ा। पुलिस सुधार पर गृह मंत्रालय गंभीर नहीं दिख रहा। ऐसे में पुलिस सुधार के लिए सुप्रीम कोर्ट के 2006 के आदेश को बगैर देरी के लागू करके राष्ट्रीय पुलिस सुधार आयोग गठित करना चाहिए ताकि देश में किसी भी राज्य में पुलिस अधिकारी खुदकुशी नहीं करे।

उन्होंने कहा कि इस बाबत सुप्रीम कोर्ट में भी अर्जी दायर कर कहा गया है कि ब्रिटिश साम्राज्य के पुलिस एक्ट1861 को समाप्त किया जाना चाहिए। क्योंकि उस समय ब्रिटिश शासक व शासित वासियों के लिए भेदभाव पूर्ण कानून थे जो आज स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव तक जारी रखना गुलामियत का परिचायक है।

सीबीआई के निदेशकों ने भी न्यायिक हिरासत का पर्दाफाश किया है। इसलिए हमारा मुख्य न्यायाधीश से निवेदन करते हैं कि यदि देशवासियों की संविधानिक सुरक्षा में राजनैतिक हस्तक्षेप होता है तो लोकतांत्रिक व्यवस्था को बचाने हेतु अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में पुलिस सुधारों व अन्य आपराधिक मामले जिसमें राजनेताओं को भी कटघरे में अन्य अपराधियों की तरह खड़ा किया जा सके की सिफारिश कर तुरंत प्रभाव से लागू किया जाना चाहिए। इस मौके पर रिटायर्ड सब इंस्पेक्टर भागीरथ डाबाला, सुरेंद्र सिंह, करमचंद सहित अन्य पुलिस वाले मौजूद रहे ।

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हिन्दुस्थान समाचार / धीरेन्द्र यादव