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काठमांडू, 21 नवंबर (हि.स.)। नेपाल की संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा के स्पीकर देवराज घिमिरे ने सदन के विघटन को असंवैधानिक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट को अपना लिखित जवाब प्रस्तुत किया है।
प्रतिनिधि सभा विघटन और प्रधानमंत्री सुशीला कार्की की नियुक्ति के विरुद्ध दायर 17 में से 6 याचिकाओं में प्रतिवादी बनाए गए घिमिरे से कोर्ट ने लिखित जवाब मांगा था। स्पीकर ने एडवोकेट जनरल के माध्यम से यह जवाब सुप्रीम कोर्ट को भेजा है। घिमिरे ने अपने जवाब में प्रधानमंत्री कार्की की सिफारिश पर राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल द्वारा लिया गया प्रतिनिधि सभा के विघटन का निर्णय असंवैधानिक करार दिया है।
घिमिरे ने लिखा है कि प्रधानमंत्री की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा किए गए संसद विघटन के संदर्भ में, चूंकि प्रधानमंत्री कार्की की नियुक्ति स्वयं असंवैधानिक है, इसलिए उनके द्वारा की गई प्रतिनिधि सभा विघटन की सिफारिश भी स्वतः अमान्य हो जाती है।
उन्होंने कहा कि संविधान किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा किए गए कार्य को वैधानिक मान्यता नहीं दे सकता जो असंवैधानिक तरीके से पद पर पहुंचा हो। घिमिरे के अनुसार, असंवैधानिक प्रधानमंत्री के पहले निर्णय के रूप में की गई विघटन सिफारिश और उसके आधार पर घोषित चुनाव की तिथि— दोनों ही असंवैधानिक हैं और लागू करने योग्य नहीं हैं। उन्होंने याचिकाकर्ताओं द्वारा मांगे गए संसद पुनःस्थापना के आदेश का समर्थन भी किया है।
उल्लेखनीय है कि नेपाल में प्रतिनिधि सभा के विघटन के बाद भी स्पीकर का पद प्रभावी होता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / पंकज दास