कार्बन उत्सर्जन 2070 तक नेट जीरो और 2030 तक 50 प्रतिशत ऊर्जा खपत कम करेंगे: अनुप्रिया पटेल
—''काशी संवाद'' कार्यक्रम में केन्द्रीय मंत्री शामिल हुई वाराणसी, 21 नवम्बर (हि.स.)। केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण एवं रसायन उर्वरक राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने शुक्रवार को कहा कि सरकार ने कई योजनाएं शुरू की और इनमें से सबसे अधिक फायदा महि
काशी संवाद कार्यक्रम में केन्द्रीय मंत्री


काशी संवाद कार्यक्रम में केन्द्रीय मंत्री


—'काशी संवाद' कार्यक्रम में केन्द्रीय मंत्री शामिल हुई

वाराणसी, 21 नवम्बर (हि.स.)। केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण एवं रसायन उर्वरक राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने शुक्रवार को कहा कि सरकार ने कई योजनाएं शुरू की और इनमें से सबसे अधिक फायदा महिलाओं का हुआ। केन्द्र सरकार जिस दृष्टि के साथ काम करती है वह पूर्ण विकास है। केवल स्वास्थ्य मंत्रालय की कई योजनाएं लंबे समय से चल रही हैं। केन्द्रीय मंत्री यहां काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के मालवीय मूल्य अनुशीलन केंद्र में भारतीय उद्योग परिसंघ, बीएचयू तथा उत्तर प्रदेश सरकार के समाज कल्याण विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय काशी संवाद कार्यक्रम को संबोधित कर रही थी।

विकसित भारत की ओर विषयक संवाद में केन्द्रीय मंत्री अनुप्रिया ने कहा कि देश के हर तबके तक कैसे योजनाओं का लाभ पहुंचाना है। ये सोच हमारी सरकार ने दिखाई। लगातार सरकार की कोशिश रही कि भारत की आर्थिक प्रगति और पर्यावरण के बीच संतुलन बना रहे। केन्द्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि वर्ष 2070 तक कार्बन उत्सर्जन नेट जीरो और 2030 तक 50 प्रतिशत ऊर्जा खपत कम करेंगे। ग्लोबल वार्मिंग में भारत वह देश है जो अपने वादे (कमिटमेंट्स) को पूरा कर रहा है। इसकी दुनिया भर में तारीफ हो रही है। सरकार प्रयास कर रही है लेकिन हम सबको भी अपना अपना योगदान देना होगा।

केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि 11 वर्षों में यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज भारत की प्राथमिकता बन चुका है। संवाद में अनुप्रिया पटेल ने काशी को “विकास और विरासत” के संतुलित सह-अस्तित्व का उभरता मॉडल बताया। उन्होंने सीआईआई के चार स्तंभ—नवाचार, समानता, समावेशन और स्थिरता—का उल्लेख करते हुए कहा कि ये सिद्धांत पिछले एक दशक में भारत के शासन मॉडल के मूल्यों से गहराई से जुड़े हैं। स्वास्थ्य सेक्टर का जिक्र कर उन्होंने अंतिम छोर तक सेवाओं की संतृप्ति (लास्ट-माइल सैचुरेशन), यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज, आयुष्मान भारत, जन औषधि केंद्र, राष्ट्रीय डायलिसिस सेवाओं और प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं में हुए व्यापक परिवर्तन पर विस्तार से चर्चा की।

संवाद में प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने बनारस में हुए बदलाव का जिक्र कर कहा कि प्रदेश सरकार के साथ काम करके इस बदलती काशी का हिस्सा रहा हूं। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनाने में काफी काम किया है। 2047 में विकसित भारत की योजना बनाई गई है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे होने पर वर्ष 2047 तक विकसित भारत की परिकल्पना तैयार की गई है। इस दिशा में शिक्षा की गुणवत्ता और लर्निंग आउटकम को बेहतर बनाना प्राथमिक आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मजबूत और जागरूक छात्र ही देश को आगे बढ़ा सकते हैं। बायो गैस उत्पादन में आज उत्तर प्रदेश देश में पहले स्थान पर है। जबकि प्रधानमंत्री सोलर मिशन के तहत चौथे नंबर पर है। क्रॉप रेजिड्यू मैनेजमेंट, वेस्ट मैनेजमेंट और ग्रीन हाइड्रोजन जैसे क्षेत्रों में बड़े स्तर पर शोध और कार्य हो रहा है। इसमें आईआईटी बीएचयू और आईआईटी कानपुर एक्सीलेंस सेंटर की भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने प्रारंभिक बाल शिक्षा के लिए ‘बाल वाटिका’ की शुरुआत का भी उल्लेख किया, जो बुनियादी वर्षों से ही सीखने के परिणामों को मजबूत करेगी।

विकसित भारत 2047 की दिशा में ‘नवाचार, समता, समावेशन और टिकाऊ विकास’ पर केन्द्रित इस चर्चा में भाग लेने के पहले केन्द्रीय राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल और प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी, बीएचयू कुलपति ने दीप प्रज्जवलित कर संवाद का उद्घाटन किया। संवाद में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), समाज कल्याण विभाग असीम अरुण, बीएचयू कुलपति प्रो.अजित कुमार चतुर्वेदी, सीआईआई के अध्यक्ष बी. थियागराजन , डॉ. उपासना अरोड़ा (अध्यक्ष, सीआईआई उत्तर प्रदेश ) आदि की भी मौजूदगी रही।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी