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फोटॉनिक्स और टेराहर्ट्ज सेंसिंग जैसी तकनीकें हमारे भविष्य को दे रही नई दिशा: प्रो. डेरेक एबॉट
देहरादून, 21 नवंबर (हि.स.)। ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी में नेक्स्ट जेनरेशन फोटोनिक्स और क्वांटम मैटेरियल्स पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में देश-विदेश के किया। वक्ताओं ने टेराहर्ट्ज सेंसिंग जैसी उभरती तकनीकों बढ़ावा देने पर जाेर दिया।
शुक्रवार को इस गोष्ठी में ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ एडेलेड के प्रो. डेरेक एबॉट ने कहा कि विज्ञान का वर्तमान दौर वह समय है, जब फोटॉनिक्स और टेराहर्ट्ज सेंसिंग जैसी उभरती तकनीकें हमारे भविष्य को नई दिशा दे रही हैं। टेराहर्ट्ज तरंगें हमें वह देखने, मापने और समझने में सक्षम बनाती हैं, जो पहले तकनीक की सीमाओं के कारण संभव नहीं था। आईआईटी दिल्ली के प्रो. अनुराग शर्मा ने कहा कि ऑप्टिकल फाइबर संचार तकनीक की रीढ़ है और आज की तेजी से बदलती डिजिटल दुनिया इसका सबसे बड़ा प्रमाण है। इन तकनीकों का प्रभाव हाई-स्पीड इंटरनेट से लेकर क्वांटम कम्युनिकेशन और सेंसर-आधारित उद्योगों तक विस्तृत है। संगोष्ठी को टीआईएफआर मुंबई के वैज्ञानिक और प्रो गणेश प्रभु और बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के प्रो. राकेश कुमार सिंह ने भी संबोधित किया।
इस अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी और चैधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी के शिक्षकों और छात्र छात्राओं ने ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से भाग लिया। अंत में छात्रों की मानकों से संबंधित जागरूकता और समझ का आकलन करने के लिए क्विज का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का आयोजन ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के फिजिक्स डिपार्टमेंट और मेरठ की चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी के संयुक्त तत्वावधान से किया गया। कार्यक्रम में कुल सचिव डॉ. नरेश कुमार शर्मा, एचओडी डॉ. एफएस गिल, बीआईएस नोडल अधिकारी डॉ. ब्रिजेश प्रसाद, डॉ. किरन शर्मा, डॉ. साक्षी जुयाल, डॉ. दीपक कुमार, सीसीएस यूनिवर्सिटी के डॉ. अनिल मलिक, डॉ. नीरज पंवार समेत अन्य शिक्षक-शिक्षिकाएं और छात्र-छात्राएं शामिल हुए।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश कुमार