नई डिजिटल प्रणाली से 55,874 पेपरलेस रजिस्ट्री, लोगों को बड़ी सुविधा
शिमला, 21 नवंबर (हि.स.)। हिमाचल का राजस्व विभाग तेजी से आधुनिक और पारदर्शी कार्यप्रणाली की ओर बढ़ रहा है। विभाग ने बीते दो वर्षों में नई तकनीक को व्यापक स्तर पर अपनाया है, जिससे राजस्व मामलों के निपटारे में तेजी आई है और लोगों को बार-बार सरकारी दफ्
नई डिजिटल प्रणाली से 55,874 पेपरलेस रजिस्ट्री, लोगों को बड़ी सुविधा


शिमला, 21 नवंबर (हि.स.)। हिमाचल का राजस्व विभाग तेजी से आधुनिक और पारदर्शी कार्यप्रणाली की ओर बढ़ रहा है। विभाग ने बीते दो वर्षों में नई तकनीक को व्यापक स्तर पर अपनाया है, जिससे राजस्व मामलों के निपटारे में तेजी आई है और लोगों को बार-बार सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने की मुश्किल से राहत मिली है।

एक सरकारी प्रवक्ता ने शुक्रवार को बताया कि राज्य सरकार ने दो साल पहले राजस्व प्रबंधन पोर्टल जनता को समर्पित किया था। इस पोर्टल के माध्यम से अब तक 1,16,490 मामलों में आदेश ऑनलाइन अपलोड किए जा चुके हैं। इससे लोगों को अपने मामलों की स्थिति जानने के लिए कार्यालय जाने की आवश्यकता नहीं रहती और वे घर बैठे एक क्लिक पर पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। सरकार का मानना है कि अत्याधुनिक तकनीक अपनाने से विभागों की दक्षता बढ़ती है और लोगों को तेज, पारदर्शी और भरोसेमंद सेवाएं मिलती हैं।

प्रवक्ता ने बताया कि राज्य की लगभग 90 प्रतिशत आबादी कृषि क्षेत्र से जुड़ी है, ऐसे में भूमि संबंधी मामलों में पारदर्शिता और तेज प्रक्रिया बेहद जरूरी है। इसी दिशा में शुरू की गई कागजरहित पंजीकरण प्रणाली ‘माई डीड’ काफी सफल साबित हो रही है। इस नई सुविधा के तहत अब तक 55,874 पेपरलेस रजिस्ट्री की जा चुकी हैं। इस प्रणाली में आवेदक केवल एक बार तहसील कार्यालय जाकर अपनी रजिस्ट्री प्रक्रिया पूरी कर सकता है। इससे समय और धन दोनों की बचत हो रही है और रजिस्ट्री की प्रक्रिया काफी सरल हो गई है।

उन्होंने कहा कि राजस्व अधिकारियों के लिए भी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई हैं। ई-रोज़नामचा प्रणाली से अधिकारी रोजाना की गतिविधियों का डिजिटल रिकॉर्ड बना रहे हैं। सुशासन को और मजबूत करने के लिए पहली सितंबर 2025 से राज्य के सभी राजस्व न्यायालय ऑनलाइन कर दिए गए हैं। अब तकसीम, निशानदेही, दुरूस्ती और अतिक्रमण जैसे मामलों में फाइलिंग से लेकर सुनवाई तक पूरा कार्य ई-फाइलिंग प्रणाली से किया जा रहा है। इस सुविधा शुरू होने के बाद अब तक 5,940 मामले ऑनलाइन फाइल किए जा चुके हैं।

इसके साथ ही राज्य के सभी लैंड रिकॉर्ड मैप को डिजिटाइज़ और जियो-रेफरेंस किया गया है। जमीन से संबंधित मामलों में यह कदम बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि इससे भूमि मालिकों को सही, तेज और पारदर्शी जानकारी मिल पा रही है। नई तकनीक के प्रसार से हिमाचल का राजस्व विभाग आधुनिक, सुगम और जनता-केंद्रित सेवाएं उपलब्ध कराने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।

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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा