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रांची/धनबाद, 21 नवंबर (हि.स.)। प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) ने शुक्रवार की सुबह करीब छह बजे कोयला कारोबार से जुड़े झारखंड के कारोबारियों के कुल 18 ठिकानों पर छापेमारी की। ईडी रांची ने दुमका और धनबाद स्थित कोयला के चर्चित कारोबारी लाल बाबू सिंह (एलबी सिंह) सहित अन्य कोयला कारोबारियों के ठिकानों पर छापेमारी की।
अधिकारिक सूत्रों के अनुसार छापेमारी के दौरान झारखंड के विभिन्न ठिकानों से दो करोड़ रुपये नकद जब्त किये गये हैं। साथ ही 120 से ज्यादा जमीन से जुड़े दस्तावेज मिले हैं। इसके अलावा निवेश से संबंधित दस्तावेज भी जब्त किए गए हैं। दुमका के अमर मंडल के ठिकानों से जमीन के कारोबार से संबंधित दस्तावेज मिले हैं। वहीं कोयला व्यवसायी अनिल गोयल के घर से ईडी की टीम को व्यापारिक दस्तावेज के अलावा मोबाइल में लेने-देन का विवरण मिला है।
रांची ईडी की टीम को कोयला कारोबारी लाल बाबू सिंह के घर में घुसने में दो घंटे का समय लगा। इस कोरोबारी ने छापेमारी टीम के पहुंचते ही अपे पालतू कुत्तों को खोल दिया, जिसकी वजह से छापेमारी करने पहुंची टीम को दो घंटे तक घर के बाहर खड़ा रहना पड़ा। इस बीच लाल बाबू सिंह के द्वारा डिजिटल डाटा डिलीट कर सबूत मिटाने के आरोप लग रहे हैं।
ईडी कोयला कारोबारी लाल बाबू सिंह के खिलाफ वर्ष 2019 में इसीआईआर दर्ज की थी। इसमें लाल बहादुर सिंह और उसकी कंपनी एम/एस देवप्रभा प्राईवेट को बीसीसीएल से मिले 452.00 करोड़ रुपये के काम में कोयले की हेराफेरी कर 13.00 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया गया था। यह इसीआईआर सीबीआई की ओर से दर्ज एक प्राथमिकी के आधार पर की गयी थी। इसीआईआर दर्ज करने के करीब सात साल बाद ईडी ने लाल बाबू सिंह सहित अन्य के ठिकानों पर छापेमारी शुरू की।
ईडी ने लाल बाबू सिंह व उसके पारिवारिक सदस्यों को छापेमारी के दायरे में शामिल किया है। इसके अलावा संजय खेमका के पारिवारिक सदस्यों के साथ ही अनिल गोयल को भी छापामारी के दायरे में लिया। ईडी की जांच में पाया गया कि इन दोनों ही व्यापारियों ने अपनी व्यापारिक गतिविधियों को चलाने के लिए अलग-अलग कंपनियां बना रखी हैं। इन कंपनियों में संबंधित कोयला व्यापारियों के पारिवारिक सदस्य और करीबी लोगों को निदेशक बनाया गया है। ईडी ने इन कंपनियों को भी छापेमारी के दायरे में शामिल किया है।
धनबाद के चर्चित कोयला कारोबारी लाल बाबू सिंह के ठिकानों पर आयकर विभाग ने वर्ष 2011 में भी छापा मारा था। उस वक्त उसके बैंक खातों में 100 करोड़ रुपये जमा थे। इसकी जानकारी आयकर विभाग को रिटर्न में नहीं दी गयी थी। ईडी ने जांच में पाया कि लाल बाबू सिंह की कंपनी एमएस देवप्रभा को बीसीसीएल ने जीनागोरा कोलियरी से ओवर बर्डन हटाने, कोयला खनन और उसके परिवहन का काम दिया था। इस कंपनी को बीसीसीएल से काम लेने के लिए ज्वाइंटवेंचर के रूप में विकसित किया गया था। इस कंपनी में लाल बाबू सिंह , रंजीत कुमार सिंह के अलावा कुंभ नाथ सिंह निदेशक हैं।
ईडी ने जांच में पाया कि लाल बहादुर सिंह अन्य चार कंपनियों में भी निदेशक है। इन कंपनियों में शिमलाबहाल कोल माइंस,देवप्रभा माइनिंग, एंड इंफ्रा, देवप्रभा कंस्ट्रक्शन और काशी वेलफेयर फाउंडेशन शामिल है।
छापेमारी के दायरे में शामिल किये गये संजय खेमका का कारोबार बीसीसीएल, सीसीएल, एनसीएल में फैला हुआ है। खेमका परिवार एमएस संजय कुमार उद्योग प्राइवेट के सहारे कोल इंडिया की अनुशांगी इकाइयों में अपनी व्यापारिक गतिविधियों को अंजाम देता है। खेमका परिवार की यह कंपनी कोयले के कारोबार के अलावा कोयला खनन और परिवहन में शामिल है। खेमका परिवार ने अपनी व्यापारिक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए एमएस संजय कुमार उद्योग प्राइवेट के अलावा भी दूसरी कंपनियां बना रखी है। इन कंपनियों में एसआर पैकेजर्स, नेक्सजेन सेल एंड सर्विस, सटार सन सप्लायर्स और कोल फिल्ड इक्वूमेंट इक्वीपमेंट्स का नाम शामिल है। इन सभी कंपनियों में संजय खेमका निदेशक हैं।
ईडी की छापेमारी के दायरे में शामिल अनित गोयल भी कोयले के व्यापार से संबंधित है। जांच में पाया गया है कि अनिल गोयल ने अपनी व्यापारिक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए सात कंपनियां बना रखी है। सभी कंपनियों में अनित सहित उनके पारिवारिक सदस्य निदेशक की भूमिका में हैं।
कोलकाता ईडी ने कोयला कारोबार से जुड़े लोगों को कुल 20 ठिकानों पर छापेमारी शुरू की। हालांकि, बाद वह बढ़कर 24 ठिकाने हो गए। वहां से लगभग आठ करोड़ नकद सहित भारी मात्रा में जेवरात बरामद किए गए हैं। ---------------
हिन्दुस्थान समाचार / विकाश कुमार पांडे