वाराणसी: बनारस स्टेशन के स्टेशन कोड में परिवर्तन,बीएसबीएस के स्थान पर बीएनआरएस
—स्टेशन पर लगे नाम बोर्ड पर हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू के साथ ही संस्कृत में भी लिखा गया बनारस स्टेशन वाराणसी,20 नवम्बर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित बनारस रेलवे स्टेशन (मंड़ुवाडीह) का वर्तमान अल्फाबेटिकल स्टेशन कोड बीएसबीएस को बदल कर बीएनआरए
फाइल फोटोे


—स्टेशन पर लगे नाम बोर्ड पर हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू के साथ ही संस्कृत में भी लिखा गया बनारस स्टेशन

वाराणसी,20 नवम्बर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित बनारस रेलवे स्टेशन (मंड़ुवाडीह) का वर्तमान अल्फाबेटिकल स्टेशन कोड बीएसबीएस को बदल कर बीएनआरएस कर दिया गया है। पूर्वोत्तर रेलवे के वाराणसी मंडल के बनारस रेलवे स्टेशन के कोड का बदलाव एक दिसम्बर 2025 से प्रभावी होगा। जिसके बाद बनारस से/तक यात्रा करने वाले यात्रियों को यात्री आरक्षण केन्द्रों,नेशनल ट्रेन इन्क्वायरी सिस्टम , अथवा आईआरसीटीसी की वेबसाइट से अपनी बर्थ आरक्षित कराने के लिए बनारस स्टेशन के पुराने अल्फाबेटिकल स्टेशन कोड के बदले नए कोड बीएनआरएस अंकित करना होगा।

यह जानकारी पूर्वोत्तर रेलवे के वाराणसी मंडल के जनसम्पर्क अधिकारी ने गुरुवार काे दी। बताया गया कि चार वर्ष पूर्व 15 जुलाई 2021 को मंडुवाडीह रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर बनारस किया गया था । भारतीय संस्कृति को सहेजने के लिए बनारस स्टेशन पर लगे नाम बोर्ड पर हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू के साथ ही संस्कृत में बनारसः भी लिखा गया। जो पुरातन काशी की संस्कृति का अहसास करता है ।

यह विश्वस्तरीय रेलवे स्टेशन किसी हवाई अड्डे की तरह दिखता है । यह स्टेशन किसी बड़े प्रतिष्ठित निगमित कॉर्पोरेट कार्यालय की तरह दिखाई देता है। न केवल स्टेशन भवन बनारस रेलवे स्टेशन को अलग बनाता है, बल्कि इसके सभी विभिन्न यात्री-अनुकूल सुविधाएं भी हैं। नए रूपांतरित स्टेशन में अब एक विशाल प्रतिक्षालय क्षेत्र, विभिन्न श्रेणियों के प्रतीक्षालय,उच्च श्रेणी यात्री विश्रामालय, एस्केलेटर सीढियां, लिफ्ट्स,फूड प्लाजा, कैफेटेरिया, वीआईपी लाउन्ज, पार्किंग,सेल्फी पॉइंट, राष्ट्रीय ध्वज,धरोहर के रूप में नैरो गेज का इंजन, विस्तृत ग्रीन और स्वच्छ सर्कुलेटिंग एरिया, आधुनिक बुकिंग / आरक्षण कार्यालय, फूड कोर्ट, सभी सुविधाओं से परिपूर्ण वेटिंग रूम और बहुत कुछ है। स्टेशन में एसी लाउंज, गैर-एसी रिटायरिंग रूम और डारमेटरी भी हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी