नीति निर्माण में जमीनी वास्तविकताओं का समुचित प्रतिबिंब हो: मुख्य सचिव
-प्रशासनिक अधिकारी सम्मेलन में हुआ विकसित उत्तराखंड @ 2047 पर मंथन -सुधार के संभावित क्षेत्रों का दिया गया प्रस्तुतीकरण देहरादून, 20 नवंबर (हि.स.)। उत्तराखंड शासन के मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने गुरुवार को प्रशासनिक अधिकारी सम्मेलन को संबोधित करते
वीर चंद्र सिंह गढ़वाली सभागार सचिवालय देहरादून में दो दिवसीय प्रशासनिक अधिकारी सम्मेलन को संबोधित करते मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन।


-प्रशासनिक अधिकारी सम्मेलन में हुआ विकसित उत्तराखंड @ 2047 पर मंथन

-सुधार के संभावित क्षेत्रों का दिया गया प्रस्तुतीकरण

देहरादून, 20 नवंबर (हि.स.)। उत्तराखंड शासन के मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने गुरुवार को प्रशासनिक अधिकारी सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि विकसित उत्तराखंड 2047 तभी साकार होगा, जब नीति निर्माण में जमीनी वास्तविकताओं का समुचित प्रतिबिंब हो। यह विचार-विमर्श हमारे साझा दीर्घकालिक लक्ष्य के लिए ठोस और समन्वित समाधान प्रदान करेगा।

गुरुवार को यहां वीर चंद्र सिंह गढ़वाली सभागार सचिवालय में दो दिवसीय प्रशासनिक अधिकारी सम्मेलन प्रारम्भ हुआ। सम्मेलन में दीर्घकालिक विकास प्राथमिकताओं को पुनः रेखांकित करते हुए नीति-निर्माताओं, वरिष्ठ प्रशासकों और जिला अधिकारियों को विकसित उत्तराखंड @2047 के रोडमैप को आगे बढ़ाने के लिए एक साथ लाया। मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने एओसी को क्षेत्रीय अधिकारियों और नीति-निर्माताओं के बीच प्रत्यक्ष संवाद का महत्वपूर्ण मंच बताते हुए कहा कि आमने-सामने की भागीदारी समन्वय को मजबूत करती है और उन क्षेत्रीय मुद्दों पर स्पष्टता लाती है, जिनके समाधान के लिए नीति-स्तरीय हस्तक्षेप आवश्यक है।

मुख्य सचिव ने पर्यटन, बागवानी, स्वास्थ्य एवं वेलनेस और शहरी विकास को राज्य की विकास यात्रा के प्रमुख स्तंभों के रूप में चिन्हित करते हुए अनियोजित शहरी विस्तार को रोकने के लिए नियोजित एवं सतत शहरीकरण की आवश्यकता पर बल दिया।

प्रमुख सचिव डॉ.आर.मीनाक्षी सुन्दरम ने विकसित उत्तराखंड 2047 की विजनिंग प्रक्रिया प्रस्तुत की और 2025 से 2047 तक सतत विकास प्राप्त करने हेतु प्रस्तावित व्यापक आर्थिक मार्गों का विवरण दिया। बताया गया कि राज्य का जीएसडीपी 3.78 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2047 तक 28.92 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है। उन्होंने उच्च-मूल्य कृषि की ओर संक्रमण, सेवा क्षेत्र के विस्तार, डिजिटल पहुंच एवं गुणवत्ता के सुदृढ़ीकरण, साथ ही शिक्षा एवं स्वास्थ्य क्षेत्र के उन्नयन की आवश्यकता पर जोर दिया।

वित्त सचिव दिलीप जावलकर ने राज्य की वित्तीय स्थिति प्रस्तुत करते हुए उभरती चुनौतियों जैसे अनुदानों की समाप्ति,राजस्व वृद्धि में मंदी और व्यय में बढ़ोतरी का उल्लेख किया। उन्होंने साक्ष्य-आधारित नीति-निर्माण, यथार्थवादी अनुमान,लाइफ-साइकिल लागत आकलन और विभागों के बीच समन्वय को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया ताकि राज्य की दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित की जा सके।

सचिव पंकज पांडे ने इंफ्रास्ट्रक्चर एवं मोबिलिटी रोडमैप प्रस्तुत करते हुए पिछले 25 वर्षों में बेहतर कनेक्टिविटी के क्षेत्र में हुई प्रगति को रेखांकित किया और डी-कंजेशन उपायों,मजबूत एवं लचीले बुनियादी ढांचे और सार्वजनिक परिवहन के बेहतर एकीकरण की आवश्यकता पर बल दिया, विशेषकर पर्यटन और आर्थिक विकास को गति देने के लिए।

पर्यटन विभाग की अतिरिक्त सचिव ने विंटर टूरिज्म की अवधारणा प्रस्तुत की। इस संबंध में कुछ सर्किट चिन्हित किए गए हैं और इसे क्रियाशील बनाने के लिए नीतियों एवं प्रभावी अभिसरण की आवश्यकता पर बल दिया।

इसके अतिरिक्त, बागेश्वर,पिथौरागढ़,चम्पावत,उधम सिंह नगर और हरिद्वार के जिलाधिकारियों द्वारा क्रमशः हर्बल एवं औषधीय पौधों, वाइब्रेंट विलेजेज, बागवानी की संभावनाएं,आकांक्षी जिला पहल तथा कचरा प्रबंधन से संबंधित जिला-स्तरीय उत्कृष्ट कार्यों का प्रस्तुतीकरण किया गया।

विभिन्न जिला-स्तरीय चुनौतियों को भी जिलाधिकारियों द्वारा साझा किया गया। इस पर मुख्य सचिव ने सुझाव दिया कि चुनौतियों के समाधान एवं राज्य के त्वरित विकास के लिए कुछ संस्थागत ढांचे विकसित करने आवश्यक हैं।

बैठक में अपर सचिव नवनीत पांडेय ने सम्मेलन का सफल संचालन किया। बैठक में प्रमुख सचिव आर.के.सुधांशु व एल एल फैनई सहित संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश कुमार