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चंपावत, 20 नवंबर (हि.स.)। पर्वतीय कृषि को नई दिशा देने और किसानों की आय को स्थायी रूप से बढ़ाने की दिशा में चम्पावत जनपद तेजी से आगे बढ़ रहा है। उद्यान विभाग की नई पहल मशरूम उत्पादन अब जिले के किसानों के लिए ‘व्हाइट गोल्ड’ साबित हो रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के किसानों की आय दोगुनी करने के निर्देशों के अनुरूप जिला प्रशासन और उद्यान विभाग द्वारा संचालित यह योजना अब धरातल पर परिणाम दे रही है और किसानों के घरों तक नई उम्मीदें पहुँचा रही है।
जिला योजना वर्ष 2025–26 के अंतर्गत उद्यान विभाग ने चम्पावत के सभी चार विकासखंडों पाटी, बाराकोट, लोहाघाट और चम्पावत में 28 टन मशरूम कम्पोस्ट वितरित किया। विशेष बात यह रही कि यह कम्पोस्ट किसानों को 80 प्रतिशत राजकीय सहायता पर उपलब्ध कराया गया।
जिला उद्यान अधिकारी हरीश लाल कोहली के अनुसार, पाटी में 34, बाराकोट में 7, लोहाघाट में 4 और चम्पावत में 24 किसानों ने इस योजना का लाभ उठाया। इनमें हयात सिंह, सोबन सिंह, मनोज भट्ट, देवकी देवी सहित कई किसानों ने मात्र डेढ़ माह में ही उत्पादन शुरू कर दिया है।
यह कृषि मॉडल कम लागत, कम स्थान और कम जोखिम के साथ उच्च लाभ प्रदान कर रहा है यही कारण है कि जिले के किसान इसे एक मजबूत विकल्प के रूप में तेजी से अपना रहे हैं। अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में वितरित किए गए कम्पोस्ट से अब किसानों को प्रत्यक्ष आय मिलनी प्रारंभ हो चुकी है। स्थानीय बाजार में मशरूम 200 से 250 रुपये प्रति किलोग्राम में बिक रहा है, जिससे किसानों की आय में उल्लेखनीय बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। घाटी क्षेत्रों का अनुकूल मौसम और बेहतर तापमान नियंत्रण के कारण उत्पादन की गुणवत्ता भी उत्कृष्ट मिल रही है। कई किसानों ने बताया कि पारंपरिक फसलों की तुलना में मशरूम उत्पादन कम अवधि में बेहतर मुनाफा दे रहा है।
उद्यान विभाग का कहना है कि मशरूम उत्पादन केवल फसल नहीं, बल्कि एक उभरता हुआ कृषि-आधारित उद्यम है। विभाग किसानों को तकनीकी सहायता, प्रशिक्षण और विपणन मार्गदर्शन उपलब्ध करा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल युवाओं के लिए स्वरोजगार के नए आयाम खोल रही है। कम निवेश और त्वरित उत्पादन अवधि के कारण यह मॉडल नए किसानों को भी आकर्षित कर रहा है।
मशरूम उत्पादन के बढ़ते प्रसार से चम्पावत में स्थानीय बाजार सक्रिय हुआ है। आने वाले समय में बड़े पैमाने पर प्रोसेस्ड मशरूम, ड्राई मशरूम और मूल्य संवर्धन आधारित उद्योगों की संभावनाएँ भी बढ़ रही हैं। इससे न केवल किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। चम्पावत का यह उभरता मशरूम मॉडल न केवल किसानों की आय बढ़ाने का माध्यम बन रहा है, बल्कि जिले को कृषि उद्यमिता के एक नए केंद्र के रूप में भी स्थापित कर रहा है। यदि यह गति इसी तरह जारी रहती है, तो आने वाले वर्षों में चम्पावत जनपद उत्तराखंड के मशरूम उत्पादन मानचित्र पर एक महत्वपूर्ण स्थान हासिल कर सकता है।
हिन्दुस्थान समाचार / राजीव मुरारी