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नई दिल्ली, 20 नवंबर (हि.स.)। उच्चतम न्यायालय
में दिल्ली पुलिस ने दिल्ली दंगों की साजिश रचने के आरोपितों की ओर से दाखिल जमानत याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा कि ये राष्ट्रविरोधी हैं, जिन्होंने हिंसा के जरिये सत्ता को पलटने की कोशिश की। जस्टिस अरविंद कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने जमानत याचिकाओं पर 21 नवंबर को भी सुनवाई करने का आदेश दिया।
सुनवाई के दौरान गुरुवार काे दिल्ली पुलिस की ओर से पेश एएसजी एसवी राजू ने कहा कि विदेशी अखबार बिना इनके अपराध पर गौर किए उनके लिए सहानुभूति दिखा रहे हैं। विदेशी अखबार आरोपितों की राष्ट्रविरोधी गतिविधियों पर गौर किए बिना ही उन्हें बुद्धिजीवी बता रहे हैं। राजू ने कहा कि जब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप भारत के दौरे पर थे, उस समय नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन आयोजित किए गए ताकि देश को बदनाम किया जा सके।
इसके पहले की सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कहा था कि किसी सह आरोपित को मिली जमानत को दूसरे आरोपितों के लिए जमानत देने का आधार नहीं बनाया जा सकता है।
इसके पहले 3 नवंबर को उमर खालिद के वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि इस मामले में 751 एफआईआर दर्ज किए गए हैं, लेकिन उमर खालिद का नाम केवल एक एफआईआर में है। उसमें दिसंबर, 2022 में बरी कर दिया गया। एक दूसरा एफआईआर दर्ज किया गया है, जिसमें साजिश का जिक्र है। सिब्बल ने कहा था कि 750 एफआईआर में उमर खालिद किसी में भी लिप्त नहीं है। 751 एफआईआर में 116 में ट्रायल किया गया जिसमें 97 में दोषी बरी कर दिए गए। 17 केसों में फर्जी दस्तावेजों को आधार बनाया गया है।
हिन्दुस्थान समाचार/संजय
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हिन्दुस्थान समाचार / अमरेश द्विवेदी