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मंडी, 20 नवंबर (हि.स.)। देव समाज से जुड़े कारदारों ने शिवपाल शर्मा को ग्याहरवीं बार सर्व देवता सेवा समिति मंडी के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी है। सर्व देवता सेवा समिति की आम सभा की बैठक वीरवार को शिव पाल शर्मा की अध्यक्षता में देव सदन /संस्कृति सदन मंडी में आयोजित की गई। जिसमें सर्व देवता सेवा समिति मंडी की चुनाव प्रक्रिया पूरी करने की चर्चा की गई। जिसके उपरांत घनश्याम कारदार देव छंडैल सरोआ ने खड़े पुरानी कार्यकारिणी को यथावत रखने के लिए सुझाव दिया। जिस सुझाव पर भीमचंद सरोच व खीमे राम ने अपनी सहमति देकर समर्थन किया।
इसके पश्चात समस्त सदस्यों ने अपने दोनों हाथ उठाकर ध्वनिमत से पुरानी कार्यकारिणी को ही आगामी तीन वर्ष के लिए चयनित किया। मंडी जनपद का क्षेत्र बड़ा होने के कारण अन्य सदस्यों के चयन करने का अधिकार अध्यक्ष को दिया गया, ताकि समिति का कार्य सुचारू रूप से चल सके । इसके अतिरिक्त अध्यक्ष से यह भी अनुरोध किया गया कि शीघ्र ही कार्यकारिणी का विस्तार किया जाए। जिस पर अध्यक्ष ने समस्त कारदारों,गूर,पुजारियों का आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर देवताओं को आधा बीघा भूमि देने के बारे में शिवपाल शर्मा ने बताया कि छह मामले उपायुक्त मंडी द्वारा स्वीकृत कर लिए गए हैं तथा अन्य तीन मामले जो जिला भाषा अधिकारी द्वारा भेजे गए हैं वो भी शीघ्र स्वीकृत कर दिए जाएंगे- जबकि अन्य मामलों की कार्यवाही की जा रही है।
अध्यक्ष शिवपाल शर्मा ने समस्त कारदारों से अनुरोध किया कि अपने केस संबंधित अधिकारी को शीघ्र भेजें। इस ऐतिहासिक फैसले पर मुख्यमत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू एवम् उपायुक्त मंडी अपूर्व देवगन का समस्त कारदारों नकी ओर से आभार व्यक्त किया गया। बैठक में कहा गया कि शिवरात्रि के दौरान जो देवी-देवताओं को गत दो वर्षों से सीढ़ियों पर स्थान दिया गया है, उनके लिए वर्षा और धूप से बचने के लिए अस्थाई पेगोड़ा शैली के तंबू लगाने के लिए जिलाधीश मंडी के चर्चा की है और यह सुझाव दिया कि देवताओं को पूर्ण मान सम्मान देने के लिए हम प्रयासरत हैं। जो देवता सीढ़ियों पर बैठते हैं उनको पैगोडा शैली के तंबू इस वर्ष लगाने का आश्वासन दिया। जिस पर कारदारों ने तंबू लगाने पर सहमति प्रकट की और इसी तरह अन्य देवी देवताओं को भी सम्मान देने के लिए मुख्यमंत्री से आग्रह किया है।
बैठक में कारदारों ने सरकार व प्रशासन से अनुरोध किया है कि देव स्थल जहां-जहां है ,उन्हें पर्यटन का स्वरूप न दिया जाए और न ही देव स्थलों। के नजदीक सड़के निकाली जाए। वहीं विकास कार्य हेतु जो सड़के निकाली जा रही हैं उन्हें कम से कम दो-तीन किलोमीटर दूर ही रखें, जिससे देव स्थलों की गरिमा यथावत बनी रहे।
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हिन्दुस्थान समाचार / मुरारी शर्मा