Enter your Email Address to subscribe to our newsletters

जयपुर, 20 नवंबर (हि.स.)। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित मंत्रिमण्डल की बैठक में अनुमोदित राजस्थान ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर पॉलिसी-2025 प्रदेश को ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (जीसीसी) का पसंदीदा गंतव्य स्थान बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। राज्य के प्रमुख शहरों का सशक्त बिजनेस इकोसिस्टम और किफायती ऑपरेशनल लागत के साथ-साथ नीति के अंतर्गत सब्सिडी के प्रावधान इच्छुक कंपनियों को यहां जीसीसी की स्थापना के लिए आकर्षित करते हैं।
सुदृढ़ बुनियादी ढांचा, कुशल कार्यबल और निवेश अनुकूल नीतियों की विशेषताओं के साथ प्रदेश के औद्योगिक परिदृश्य में गत दो वर्ष में सकारात्मक बदलाव आया है। मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट-2024 में लगभग 35 लाख करोड़ रुपये के एमओयू किए गए, जिनमें से लगभग 7 लाख करोड़ रुपये के एमओयू की ग्राउंड ब्रेकिंग हो चुकी हैं। आज बहुराष्ट्रीय कंपनियां प्रदेश में निवेश के लिए इच्छुक हैं। प्रदेश की बेहतर कनेक्टिविटी ने प्रदेश में निवेश के नए द्वार खोले हैं। एनसीआर रीजन और दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (डीएमआईसी) के साथ कनेक्टिविटी राजस्थान में जीसीसी निवेशकों की पहुंच बड़े औद्योगिक केन्द्रों और बाजारों तक उपलब्ध कराती है। साथ ही, देश के बड़े शहरों की तुलना में यहां प्रमुख शहरों में साधनों एवं सेवाओं की किफायती ऑपरेशनल लागत भी निवेश को सुगम बनाती है।
राजस्थान ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर पॉलिसी-2025 में जीसीसी के लिए आवेदन प्रक्रिया को सुगम बनाया गया है। इच्छुक आवेदकों को राजनिवेश सिंगल विंडो पोर्टल के माध्यम से आवेदन करना होगा। प्रोजेक्ट इवैल्यूएशन कमेटी (पीईसी) इन आवेदनों की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट का अध्ययन कर अपनी अनुशंसा प्राथमिकता से 60 दिन की समय सीमा में प्रोजेक्ट अप्रुवल कमेटी (पीएसी) को प्रस्तुत करेगी। यह अप्रुवल कमेटी भी 60 दिन की समय सीमा में अनुशंसा के आधार पर आवेदन पर निर्णय करेगी। कार्यकारी निदेशक रीको, पीईसी और प्रशासनिक सचिव उद्योग एवं वाणिज्य विभाग, पीएसी के अध्यक्ष होंगे। वहीं, जीसीसी के आवेदनों के निस्तारण के लिए उद्योग एवं वाणिज्य विभाग को नोडल विभाग बनाया गया है।
जीसीसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए नवाचार, दक्षता और मूल्य सृजन के महत्वपूर्ण केंद्र बन गए हैं। ये केंद्र प्रौद्योगिकी, वित्त, मानव संसाधन, अनुसंधान और डेटा विश्लेषण जैसे क्षेत्रों में काम करते हुए कंपनियों की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता को मजबूत करने के साथ ही स्थानीय प्रतिभा को प्रशिक्षित करने का कार्य भी कर रहे हैं। राजस्थान ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर पॉलिसी-2025 वर्ष 2030 तक प्रदेश में 200 से अधिक जीसीसी स्थापित करने, 1.5 लाख रोजगार सृजित करने के साथ भारत के 100 अरब डॉलर के जीसीसी बाजार में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने के लक्ष्य पर आधारित है। इस नीति के माध्यम से जयपुर, उदयपुर, जोधपुर जैसे शहरों को जीसीसी हब के रूप में विकसित किया जाएगा।
इस नीति के अंतर्गत जीसीसी की स्थापना के लिए राजस्थान औद्योगिक प्रोत्साहन योजना (रिप्स-2024) के प्रावधानों का लाभ दिया जाएगा। इसमें परियोजना लागत (भूमि और भवन लागत को छोड़कर) का 30 प्रतिशत या अधिकतम 10 करोड़ रुपए तक की पूंजी निवेश सब्सिडी प्रदान की जाएगी। भूमि या लीज एरिया की लागत का 50 प्रतिशत अधिकतम 1 करोड़ रुपए तक प्रतिपूर्ति लैण्ड कॉस्ट इंसेटिव के रूप में दी जाएगी। साथ ही, कर्मचारियों के वेतन पर पहले तीन वर्षों तक 30 प्रतिशत (अधिकतम 1.25 लाख प्रति कर्मचारी प्रति वर्ष) की पेरोल सब्सिडी उपलब्ध दी जाएगी। यह सब्सिडी 10 करोड़ रुपए प्रति जीसीसी प्रति वर्ष से अधिक नहीं होगी।
किराए पर संचालित इकाइयों को पहले तीन वर्षों तक किराए का 50 प्रतिशत तथा अगले दो वर्षों के लिए 25 प्रतिशत अधिकतम 5 करोड़ रुपए प्रति जीसीसी प्रति वर्ष तक रेंटल असिस्टेंस के रूप में मिलेगा। कर्मचारियों के कौशल विकास को प्रोत्साहित करने के लिए प्रशिक्षण लागत का 50 प्रतिशत अधिकतम ढाई करोड़ रुपए प्रति जीसीसी प्रति वर्ष तक प्रतिपूर्ति पात्रतानुसार की जाएगी। इसके साथ ही, पर्यावरण-अनुकूल नवाचारों को बढ़ावा देने के लिए ग्रीन इंसेंटिव, अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में पेटेंट, कॉपीराइट आदि की लागत पर 50 प्रतिशत सहायता, स्टांप ड्यूटी एवं बिजली शुल्क पर छूट भी प्रदान की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2024 में देश में स्थित ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स में लगभग 1.9 मिलियन की वर्कफोर्स नियोजित थी, जिन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था में 64.6 बिलियन डॉलर का योगदान दिया था। वर्ष 2030 तक जीसीसी इंडस्ट्री में 110 बिलियन डॉलर का योगदान अनुमानित है।
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / राजीव