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कांकेर, 20 नवंबर (हि.स.)। जिले में पांचवें दिन गुरुवार को भी धान खरीद केंद्र बंद रहा। धान बेचने के उद्देश्य से केंद्रों पर पहुंचने वाले किसान निराश होकर लौट गए। किसानों का कहना है कि उन्होंने धान की कटाई के बाद बेचने की पूरी तैयारी कर वे रोजाना खरीद केंद्र खुलने का इंतजार कर रहे हैं। धान खरीद व्यवस्था चरमराने का मुख्य कारण सहकारी समिति प्रबंधकों और उनके कर्मचारियों की हड़ताल है। राजस्व विभाग के कर्मचारियों और वरिष्ठ कृषि अधिकारियों को नोडल अधिकारी नियुक्त कर धान खरीद की जिम्मेदारी सौंपी गई है। हालांकि,अब तक यह कर्मचारी खरीद केंद्रों तक नहीं पहुंच पाए हैं। राजस्व विभाग के कर्मचारियों ने एक पत्र जारी कर कहा है कि उन्हें धान खरीदी का कोई अनुभव नहीं है, इसलिए वे यह कार्य नहीं कर पाएंगे।
किसान नेता सरजू शोरी ने कहा कि सरकार ने 15 नवंबर से धान खरीद शुरू करने की घोषणा की थी, लेकिन 20 नवंबर को पांचवें दिन भी खरीद केंद्रों के ताले नहीं खुल पाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि इससे किसानों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और वे कर्ज चुकाने के लिए बिचौलियों का सहारा लेने को मजबूर हैं। यह स्थिति सरकार के लिए फायदेमंद है, क्योंकि इससे उसे कम धान खरीदना पड़ेगा।
कलेक्टर नीलेश कुमार महादेव क्षीरसागर ने बताया कि जिले के 75 खरीद केंद्रों में वैकल्पिक व्यवस्था करते हुए धान खरीद शुरू कर दिया गया है। प्रबंधक भी अब हड़ताल खत्म कर वापस आ रहे है तो अब तेजी से धान खरीद किया जाएगा और तय समय पर धान खरीद पूरा कर लिया जाएगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / राकेश पांडे