पर्यावरण का ध्यान रखते हुए झारखंड को करना होगा शिक्षा सहित सभी मोर्चो पर काम : प्रो हरीश्वर
झारखंड ऐट द रेट के 25 स्मारिका का लोकार्पण रांची, 20 नवंबर (हि.स.)। सामाजिक आर्थिक और संसदीय अध्ययन केंद्र ने गुरुवार को करमटोली स्थित रांची प्रेस क्लब के सभागार में स्मारिका झारखंड ऐट द रेट का लोकार्पण किया। स्मारिका का लोकार्पण पूर्व गृह सचिव जे
स्मारिका का विमोचन करते तस्वीर


झारखंड ऐट द रेट के 25 स्मारिका का लोकार्पण

रांची, 20 नवंबर (हि.स.)। सामाजिक आर्थिक और संसदीय अध्ययन केंद्र ने गुरुवार को करमटोली स्थित रांची प्रेस क्लब के सभागार में स्मारिका झारखंड ऐट द रेट का लोकार्पण किया। स्मारिका का लोकार्पण पूर्व गृह सचिव जेबी तुबिद, पूर्व अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह, अर्थशास्त्री हरीश्वर दयाल और पूर्व राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार ने संयुक्त रूप से किया।

यह स्मारिका झारखंड की आर्थिक स्थिति, सामाजिक-राजनीतिक बदलाव, विकास का माहौल, आदिवासी विकास, इंफ्रास्ट्रक्चर विकास, संस्कृति, सहित अन्‍य क्षेत्रों पर लिखे गये लेखों का संग्रह है। स्मारिका में जिन जाने-माने विद्वानों और प्रशासकों ने लेख लिखा है इनमें पूर्व आइएएस अरुण कुमार सिंह, प्रोफेसर चंद्रकांत शुक्ला, प्रोफ़ेसर कमल बोस, महेश पोद्दार, राज्य के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर, राज्यसभा सांसद प्रदीप कुमार वर्मा, चंदन मिश्रा, पद्मश्री बलबीर दत्त सहित अन्य शामिल हैं।

समारोह की शुरुआत में संस्थान के सचिव अयोध्यानाथ मिश्र ने कहा कि कृषि, मत्स्य पालन, दूध, उद्यमिता जैसे क्षेत्र राज्य को आगे ले जायेंगे। उन्होंने कहा कि संस्थान की कोशिश झारखंड की वृद्धि और विकास के लिए सरकार और सिविल सोसाइटी की मदद करना रही है।

कार्यक्रम में प्रो हरीश्वर दयाल ने कहा कि यदि हम बजट की लगातार वृद्धि देखें, तो झारखंड के पास 1.40 लाख करोड़ रुपये है। इससे पता चलता है कि झारखंड तेज़ी से तरक्की कर रहा है। शहरी स्थानीय निकाय अपने राजस्व संग्रहण बेहतर कर सकते हैं। उत्पाद विभाग अच्छा काम कर रहा है। कई क्षेत्र अच्छा कर रहे हैं। लेकिन हमें अपने पर्यावरण का भी ध्यान रखना होगा। पर्यावरण प्रबंधन अच्छे से करना होगा। नदियों के प्रदूषण को नियंत्रित करना होगा। वायु गुणवत्ता का ध्यान रखना होगा।

वहीं पूर्व विकास आयुक्त अरुण कुमार सिंह ने झारखंड की तरक्की के इतिहास के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि झारखंड पिछले कुछ वर्षों में कहीं पीछे रह गया है। पर्यटन में बहुत संभावनाएं हैं। झारखंड में खनन एक बड़ा क्षेत्र है। इन खनिजों का मूल्य कैसे बढ़ाया जाये, यह सोचने वाली बात है। ज़मीन, पानी और बिजली एक बड़ा मुद्दा है। नये उद्योग नहीं लग पाये हैं। झारखंड राज्य की जीडीपी में सिर्फ़ 1.15 प्रतिशत अंशदान करता है। भारत में पर्यटन से 303 करोड़ मिलते हैं, लेकिन झारखंड को सिर्फ तीन करोड़ रुपये का ही राजस्वक आता है। हम पीपीपी मॉडल विकसित नहीं कर पाये। हमारी व्यसवस्था में पारदर्शिता की कमी है। हमें बजट खर्च को बेहतर बनाना होगा। 25 साल का यह मौका खुद को समझने और भविष्य की योजना तैयार करने का मौका होना चाहिए।

पूर्व गृह सचिव जेबी तुबिद ने नक्सलवाद के मुद्दे पर बात की, जिससे झारखंड को पिछले दशकों में जूझना पड़ा। उन्होंने कहा कि नक्सलवाद ने लोगों में विकास की भावना को खत्म कर दिया। उन्होंने कहा कि हम उन बड़े राज्यों से इतनी तुलना नहीं कर सकते, जिन्होंने पांच दशक से ज़्यादा पूरे कर लिये हैं। राज्य ने अच्छा किया है और हमें इसका जश्न मनाना चाहिए। साथ ही हमें अगले एक दशक के लिए योजना बनानी होगा। उद्योग और खनन क्षेत्र का मूल्यांकन और अच्छी तरह से योजना तैयार करनी होगी।

कार्यक्रम में सभी वक्ताओं ने पिछले 25 वर्षों की विकास यात्रा का आत्ममंथन करने और मिशन मोड पर आगे बढ़ने की ज़रूरत पर बल दिया।

बैठक में संस्थान के अध्यक्ष ओपी लाल, सचिव अयोध्यानाथ मिश्रा, सदस्य श्याम किशोर चौबे, अरुण मिश्रा सहित अन्य गणमान्य शामिल थे।

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हिन्दुस्थान समाचार / विकाश कुमार पांडे