जवाहर कला केंद्र: सूफी सुरों में गूंजा राष्ट्रीय-एकता का संदेश
जयपुर, 20 नवंबर (हि.स.)। जवाहर कला केंद्र में गुरुवार की शाम सूफ़ी रंग में इस कदर रची-बसी कि पूरा सभागार आध्यात्मिक सरगम से गूंज उठा। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, प्रयागराज एवं जवाहर कला केन्द्र, जयपुर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित सूफी
जवाहर कला केंद्र: सूफी सुरों में गूंजा राष्ट्रीय-एकता का संदेश


जयपुर, 20 नवंबर (हि.स.)। जवाहर कला केंद्र में गुरुवार की शाम सूफ़ी रंग में इस कदर रची-बसी कि पूरा सभागार आध्यात्मिक सरगम से गूंज उठा। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, प्रयागराज एवं जवाहर कला केन्द्र, जयपुर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित सूफी फेस्टिवल के आखिरी दिन पर एक ओर सुरों की महफिल सजी तो दूसरी ओर कथक की मनोरम प्रस्तुति दी गई।

कार्यक्रम की शुरुआत मशहूर सूफ़ी-क़व्वाल शाने आलम साबरी और उनके साथी कलाकारों ने की, जिन्होंने अपने सूफियाना अंदाज़ से महफ़िल को भक्ति, इबादत और इंसानियत के रंगों से भर दिया। उन्होंने ‘हिंदू मुस्लिम एक ही थाली में खाए, ऐसा हिन्दुस्तान बना दे या अल्लाह’ जैसे संदेश पूर्ण कलाम से विविधता में एकता की धुन छेड़ी। इसके बाद ‘धर्म-ईमान की बात जब आए, धर्म मेरा इंसानी लिखना.. जब भी मेरी कहानी लिखना, मुझको हिंदुस्तानी लिखना’ प्रस्तुत कर उन्होंने देशभक्ति के भाव अभिव्यक्त करते हुए देश एकता का संदेश दिया। हारमोनियम पर नज़र अली, पखावज पर अर्शद, तबले पर विजय, ढोलक पर अमन, बैंजो पर राहिल और कोरस पर साहिल ने संगत करते हुए सुर और ताल का खूबसूरत संगम रचा।

शाम की दूसरी प्रस्तुति में प्रसिद्ध कथक नृत्यांगना मीनू गारू एवं उनके समूह ने सूफ़ियाना और शास्त्रीय रचनाओं पर आधारित मनोरम कथक प्रस्तुतियों से पूरा माहौल अलंकृत कर दिया। शुरुआत अमीर ख़ुसरो की आध्यात्मिक रचना ‘आज रंग है’ से हुई, जिसमें कलाकारों ने भाव-प्रधान अभिनय और कोमल गतियों के माध्यम से ईश-प्रेम और आत्मिक उल्लास को सजीव किया। इसके बाद राग कलावती और ताल तीनताल में निबद्ध तराना पर तेज़ पदचालन, घूम और लयकारी की प्रभावी प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। गुरु पं. कृष्ण मोहन महाराज द्वारा रचित भावपूर्ण ग़ज़ल पर मीनू गारू ने वियोग और प्रेम के सूक्ष्म भावों को बड़ी नज़ाकत से अभिव्यक्त किया। पारंपरिक रचना ‘ए री सखी पिया घर आए’ में मिलन की उमंग और चंचलता को नृत्य में बख़ूबी पिरोया गया। आखिर में अमीर ख़ुसरो की सूफ़ी नज़्म ‘छाप तिलक सब छीनी रे’ पर प्रस्तुत नृत्य के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ जिसे दर्शकों ने खूब सराहा और सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।

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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश