किसानों को खाद के स्थान पर मिलती हैं गालियां व लाठियां : स्वामी प्रसाद मौर्या
कहा- 80 करोड़ जिंदगी पांच किलो और दस किलो चावल पर निर्भर हो गई झांसी, 20 नवंबर (हि.स.)। भाजपा की डबल इंजन की सरकार में विकास, रोजगार तो नहीं मिला लेकिन 80 करोड़ जिंदगी पांच किलो और दस किलो चावल पर निर्भर हो गई। यह कहना है संविधान सम्मान जनहित यात्
स्वामी प्रसाद मौर्या का फोटो


कहा- 80 करोड़ जिंदगी पांच किलो और दस किलो चावल पर निर्भर हो गई

झांसी, 20 नवंबर (हि.स.)। भाजपा की डबल इंजन की सरकार में विकास, रोजगार तो नहीं मिला लेकिन 80 करोड़ जिंदगी पांच किलो और दस किलो चावल पर निर्भर हो गई। यह कहना है संविधान सम्मान जनहित यात्रा लेकर झांसी पहुंचे उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य का। उन्होंने भाजपा पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि भाजपा की गलत नीतियों के चलते देश के युवा बेरोजगार हो गए हैं। किसानों को केंद्रों पर खाद, यूरिया लेने के लिए लाइन लगानी पड़ रही है, लेकिन उन्हें खाद यूरिया तो नहीं उन्हें गाली,और लाठी मिल रही।

गुरुवार को संविधान सम्मान यात्रा लेकर झांसी पहुंचे नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने भाजपा पर हमला करते हुए कहा कि डबल इंजन की सरकार की गलत नीतियों से देश का युवा बेरोजगार हो गया है। आर्थिक संकट परिवारों पर पड़ने लगा है। सरकारी नौकरी मिल नहीं रही, नौकरियों में एस सी/एस टी आरक्षण शून्य हो गया। उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री ने भारत को विश्व गुरु बनाने का लॉलीपॉप दिया था। आज तक भारत विश्वगुरु नहीं बन सका। बना तो केवल गरीब, बेबस, लाचार देश। यही कारण है कि भारत की 140 करोड़ आबादी में 80 करोड़ जिंदगियां दस और पांच किलोग्राम चावल पर निर्भर हो गई है। भारत कभी विश्व गुरु नहीं बन सकता।

उन्होंने कहा कि किसानों को लाभ नहीं मिल रहा, उनका समय से निधि का पैसा नहीं मिल रहा, किसानों को लाभकारी मूल्य नहीं मिल पा रहा है। छुट्टा जानवर किसानों की फसल बरबाद कर रहे हैं। किसानों को केंद्रों पर खाद, यूरिया लेने के लिए लाइन लगानी पड़ रही है, लेकिन उन्हें खाद यूरिया तो नहीं उन्हें गाली,और लाठी मिल रही। वहीं उन्होंने सरकारी स्कूलों को बंद करने के आदेश को गरीब के बच्चे को शिक्षा से वंचित रखने का एक षड्यंत्र बताया है। उन्होंने कहा कि प्राइवेट शिक्षा महंगी कर दी। शराब की दुकानें खोलने के लाइसेंस सरकार दे रही लेकिन सरकारी स्कूलों का उद्धार नहीं करा रही। उन्होंने कहा सरकारी स्कूलों में अध्यापकों की कमी पड़ रही फिर भी मतदाता सूची में अध्यापकों की ड्यूटी लगाई जा रही है। अगर अध्यापक मतदाता सूची बनाएगा और पढ़ाएगा कब, सरकार अपनी नाकामी का ठीकरा शिक्षकों पर फोड़ रही।

उन्होंने आरोप लगाया कि इस सरकार ने रोजगार के संसाधन बेच दिए तो रोजगार कहा से मिलेगा, सरकार रोजगारों के अवसर पैदा करने की जगह खत्म कर रही है।

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हिन्दुस्थान समाचार / महेश पटैरिया