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रांची, 20 नवंबर (हि.स.)। झारखंड उच्च न्यायालय ने रिम्स की बदहाल व्यवस्था पर गंभीर रुख अपनाते हुए झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकार (झालसा) की टीम को संस्थान का व्यापक निरीक्षण करने का निर्देश दिया है।
चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की पीठ ने गुरुवार को रिम्स की स्थिति सुधारने से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। मामले की अगली सुनवाई तीन दिसंबर को निर्धारित है। अदालत ने झालसा सचिव को निर्देश दिया है कि वह एक विशेष जांच समिति का गठन करें, जो रिम्स में स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता, चिकित्सा उपकरणों की कार्यशीलता, मशीनों की स्थिति, दवाओं की कमी, बाहरी दवाओं की खरीद, स्वच्छता व्यवस्था, डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस सहित सभी महत्वपूर्ण पहलुओं की जांच कर विस्तृत रिपोर्ट उच्च न्यायालय को सौंपे।
सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से अदालत को बताया गया कि रिम्स की स्थिति अब भी बदहाल है। रिम्स जीबी की बैठक में लिए गए निर्णयों पर निर्धारित समय सीमा के भीतर कोई कार्य नहीं किया गया, जबकि अदालत ने पहले ही दो माह के भीतर निर्णयों को लागू करने का आदेश दिया था। प्रार्थियों ने कहा कि रिम्स और सरकार बार-बार केवल शपथपत्र दाखिल कर रहे हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई ठोस सुधार दिखाई नहीं दे रहा। इसलिए रिम्स की वास्तविक स्थिति जानने के लिए एक स्वतंत्र और पारदर्शी जांच टीम की जरूरत है। अदालत ने प्रार्थी को भी निर्देश दिया है कि वह सरकार और रिम्स की ओर से अब तक दाखिल किए गए शपथपत्रों और उच्च न्यायालय के 10 अक्टूबर के निर्देशों पर किए गए कार्यों का ब्योरा एक टेबुलर चार्ट के रूप में अगली सुनवाई से पूर्व प्रस्तुत करे। अदालत ने स्पष्ट किया कि रिम्स की स्थिति पर अब किसी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
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हिन्दुस्थान समाचार / विकाश कुमार पांडे