कैंसर पीड़ित शिक्षिका के तबादले की मांग कोर्ट आदेश के बावजूद खारिज करने पर हाईकोर्ट 'हैरान '
-सचिव बेसिक शिक्षा परिषद 25 को तलब प्रयागराज 20 नवंबर। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कैंसर पीड़ित शिक्षिका के स्थानांतरण के संदर्भ में बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव के जवाब पर असंतोष व्यक्त करते हुए उन्हें अगली सुनवाई 25 नवंबर को उपस्थित होने को कहा है। हाईको
कोर्ट की प्रतीकात्मक छायाचित्र


-सचिव बेसिक शिक्षा परिषद 25 को तलब

प्रयागराज 20 नवंबर। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कैंसर पीड़ित शिक्षिका के स्थानांतरण के संदर्भ में बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव के जवाब पर असंतोष व्यक्त करते हुए उन्हें अगली सुनवाई 25 नवंबर को उपस्थित होने को कहा है। हाईकोर्ट के आदेश पर सचिव ने हलफनामा दाखिल किया था जिस पर कोर्ट संतुष्ट नहीं थी।

यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने शाहजहांपुर की कल्पना शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने कैंसर से पीड़ित याची सहायक अध्यापिका के स्थानांतरण अभ्यावेदन को अस्वीकार करने के बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव के आचरण पर नाराजगी व्यक्त की थी। क्योंकि न्यायालय ने इस मामले पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा कि यह बहुत ही आश्चर्य और हैरानी की बात है कि प्राधिकारियों ने याची के मामले पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने की बजाय तकनीकी आधार पर उसके अनुरोध को खारिज कर दिया।

कोर्ट का प्रथमदृष्टया मत है कि यह अधिक दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस तथ्य के बावजूद कि याची के मामले पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने के लिए विशिष्ट निर्देश दिए गए थे, लेकिन मामले के पहलू पर विचार किए बिना याची के दावे को गुण-दोष के आधार पर खारिज कर दिया गया।

याची की मांग खारिज करने का आधार यह लिया गया कि जिस स्कूल में याची कार्यरत है, वहां केवल दो शिक्षक हैं और राज्य सरकार की नीति के अनुसार किसी स्कूल में न्यूनतम 36 छात्र हैं तो तीन शिक्षकों की आवश्यकता होती है। कोर्ट ने इस आधार पर आश्चर्य व्यक्त करते कहा कि रोजाना उन्हें ऐसे मामलों से निपटना पड़ रहा है, जहां बड़ी संख्या में संस्थानों में 36 से अधिक छात्र हैं और केवल एक शिक्षक कार्यरत है।

कल्पना शर्मा अगस्त 2015 में प्रारंभिक नियुक्ति के बाद से शाहजहांपुर के एक जूनियर हाईस्कूल में सहायक अध्यापिका (विज्ञान) के रूप में नियुक्त हैं। वह कैंसर से पीड़ित हैं। उनकी सर्जरी हुई है और वर्तमान में उनकी गाजियाबाद के मैक्स कैंसर सेंटर में कीमोथेरेपी हो रही हैं। उन्होंने पूर्व में याचिका दाखिल कर शाहजहांपुर में काम करने में आ रही कठिनाइयों का हवाला दिया था। साथ ही कहा था कि उनका इलाज गाजियाबाद में हो रहा है और उनका परिवार व पति वहीं हैं, जो उनके कार्यस्थल से लगभग 320 किमी दूर है। कोर्ट ने पिछले वर्ष सितम्बर माह में उनकी याचिका निस्तारित करते हुए प्राधिकारियों को याची के अभ्यावेदन पर सहानुभूतिपूर्वक निर्णय लेने का निर्देश दिया था क्योंकि उनका गाजियाबाद स्थित मैक्स कैंसर सेंटर में इलाज चल रहा है।

इस आदेश के बावजूद सचिव ने याची का आग्रह खारिज कर दिया इसलिए उसने फिर हाईकोर्ट का रुख किया। अधिकारियों ने सुझाव दिया कि याची पारस्परिक स्थानांतरण के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकती है। इस अस्वीकृति को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कोर्ट ने सचिव से व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने को कहा था। मामले की अगली सुनवाई अब 25 नवंबर को होगी।

हिन्दुस्थान समाचार / रामानंद पांडे