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धेमाजी (असम), 20 नवम्बर (हि.स.)। असम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य गुरुवार काे धेमाजी में आयोजित सदौ असम सत्र महासभा के केन्द्रीय सत्रीया संस्कृति दिवस समारोह में शामिल हुए।
कार्यक्रम में राज्यपाल ने कहा कि सत्रीया संस्कृति दिवस असम की आध्यात्मिक-सांस्कृतिक धरोहर को सम्मान देने का महत्वपूर्ण अवसर है, जो महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव द्वारा स्थापित एकता, समानता और भक्ति की परंपरा को नई पीढ़ी तक पहुंचाता है। उन्होंने “एक शरण नाम धर्म” की समन्वयकारी भावना और सत्रों-नामघरों की भूमिका को अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए महासभा द्वारा 1200 से अधिक सत्रों व लगभग 11 हजार नामघरों को जोड़ने के प्रयासों की सराहना की।
राज्यपाल ने बरगीत, नाम-कीर्तन और सत्रीया नृत्य जैसी असम की भक्ति-कला परंपराओं को प्रदेश की आध्यात्मिक पहचान का आधार बताया। उन्होंने युवाओं से सत्र गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी और शंकरदेव-माधवदेव के विचारों के अध्ययन का आह्वान किया। कार्यक्रम में असम सत्र महासभा के अध्यक्ष जनार्दन देव गोस्वामी सहित कई गणमान्य उपस्थित रहे।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीप्रकाश