डीपीसीसी राजधानी में सबसे बड़े एंटी-डस्ट अभियान को दे रही है अंजाम : सिरसा
नई दिल्ली, 20 नवंबर (हि.स.)। दिल्ली सरकार ने सालभर चलने वाली, डेटा आधारित और सख्त प्रवर्तन रणनीति से प्रदूषण नियंत्रण को तेज किया है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) राजधानी में अब तक के सबसे बड़े एंटी-डस्ट अभियान को अंजाम दे रही है, जिसमे
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा पालम में धूल नियंत्रण के लिहाज से कई जगहों की स्थिति का निरीक्षण  करते  हुए


नई दिल्ली, 20 नवंबर (हि.स.)। दिल्ली सरकार ने सालभर चलने वाली, डेटा आधारित और सख्त प्रवर्तन रणनीति से प्रदूषण नियंत्रण को तेज किया है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) राजधानी में अब तक के सबसे बड़े एंटी-डस्ट अभियान को अंजाम दे रही है, जिसमें निर्माण, उद्योग और वाहन-जनित प्रदूषण पर लगातार—ऑनलाइन और ऑफलाइन—निगरानी हो रही है।

पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने गुरुवार को एक बयान में बताया कि डीपीसीसी के डस्ट कंट्रोल सेल्फ-असेसमेंट पोर्टल (जो नगर निगमों की बिल्डिंग सैंक्शन प्रक्रिया से जुड़ा है) के माध्यम से 500 वर्गमीटर से बड़े हर निर्माण स्थल का रजिस्ट्रेशन और मॉनिटरिंग सुनिश्चित की जा रही है, ताकि सभी प्रोजेक्ट्स धूल नियंत्रण के नियमों का पालन करें।

35 डीपीसीसी टीमें 15 अक्टूबर से मैदान में लगातार निरीक्षण कर रही हैं। पहले चरण में 500 बड़े निर्माण प्रोजेक्ट्स की जांच की गई, अनरजिस्टर्ड साइट्स की पहचान हुई और तत्काल कार्रवाई की गई—200 से ज़्यादा शोकॉज़ नोटिस, 48 साइटें सील, और 35 प्रोजेक्ट्स पर 2.36 करोड़ रुपये से अधिक का पर्यावरण मुआवज़ा लगाया गया।

रियल-टाइम जवाबदेही के बारे में सिरसा ने कहा कि हम दिल्ली की हवा को साफ रखने के लिए सिस्टम में बड़े सुधार कर रहे हैं। हर प्रोजेक्ट की 24×7 दूरस्थ निगरानी हो रही है। जुर्माना हो या सीलिंग—कार्रवाई सीधे स्रोत पर हो रही है, चाहे वह निर्माण स्थल हो, ट्रैफिक से उठती धूल हो या औद्योगिक गतिविधि। हमारी एसओपी साफ है—जांच करें, आकलन करें और तुरंत कार्रवाई करें।

21 अक्टूबर से 14 नवंबर 2025 के बीच डीपीसीसी पोर्टल पर दर्ज प्रोजेक्ट्स की संख्या 653 से बढ़कर 747 हो गई, क्योंकि सरकार का अनुपालन अभियान तेजी से आगे बढ़ा। 29 अक्टूबर से इन दर्ज प्रोजेक्ट्स का सघन निरीक्षण शुरू हुआ; अब तक 461 साइटों की जांच कर ली गई है और जहां कमी मिली है वहां सख्त कार्रवाई की प्रक्रिया जारी है। रियल-टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम—360 डिग्री वीडियो फेंसिंग और लाइव PM2.5/PM10 सेंसर—से लगातार निगरानी और पारदर्शिता मजबूत हुई है। निर्माण स्थलों पर सार्वजनिक डिस्प्ले बोर्ड पर डीपीसीसी रजिस्ट्रेशन आईडी लगाना अनिवार्य किया गया है ताकि नागरिकों और अधिकारियों को अनुपालन की स्थिति दिखाई दे। डीपीसीसी टीमें शहर भर में अनरजिस्टर्ड प्रोजेक्ट्स का सर्वे भी कर रही हैं। 4,881 इलाकों में से 467 का निरीक्षण पूरा कर 33 नए उल्लंघन पाए गए हैं जिन पर कारण बताओ नोटिस के ज़रिए तुरंत कार्रवाई की जा रही है।

पर्यावरण मंत्री ने कहा कि दिल्ली की लड़ाई प्रदूषण के खिलाफ सौ फीसद एक्शन पर आधारित है। हम सभी दिल्लीवासियों से अपील करते हैं—कचरा न जलाएं, पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग बढ़ाएं, और सोशल मीडिया, हेल्पलाइन और ग्रीन दिल्ली ऐप पर उल्लंघन की रिपोर्ट करें। मिलकर हम दिल्ली को साफ हवा दिलाएंगे।

इसी क्रम में मंत्री ने बताया कि डीपीसीसी ने 17 नंवबर को सभी रजिस्टर्ड प्रोजेक्ट्स के अधिकारियों के लिए वर्चुअल ट्रेनिंग आयोजित की। डीपीसीसी एनडीएमसी,पीडब्ल्यूडी, सीपीडब्ल्यूडी डीडीए, डीएमआरसी,डीजेबी जैसी प्रमुख एजेंसियों के साथ लगातार समन्वय कर रहा है ताकि उनके सभी निर्माण कार्य संबंधित नियमों के अनुसार रजिस्टर्ड और अनुपालन में हों।

निर्माण के अलावा डीपीसीसी टीमें डीजी सेट्स और एयर-पॉल्यूटिंग इंडस्ट्रीज़ की जांच कर रही हैं, जहां उत्सर्जन कम करने वाले उपकरण लगाना या साफ ईंधन—खासकर पीएनजी में शिफ्ट होना सीएयूएम के निर्देशानुसार अनिवार्य किया जा चुका है।

सिरसा ने बताया कि दिल्ली के विंटर एक्शन प्लान के तहत धूल नियंत्रण प्रोटोकॉल, निर्माण अनुपालन मानक, सड़क छिड़काव शेड्यूल, मैकेनिकल स्वीपिंग और वेस्ट मैनेजमेंट की तैयारी पिछले कई महीनों से चल रही है। अब फोकस और मज़बूत किया गया है- जमीनी निगरानी का पैमाना, एजेंसियों का समन्वय, फील्ड विज़िट की आवृत्ति और किसी भी चूक पर तुरंत जवाबदेही और मजबूती से तय कर दी गई है।

मंत्री सिरसा ने पालम, द्वारका और महिपालपुर क्षेत्रों में धूल नियंत्रण के लिहाज से कई जगहों की स्थिति का भी निरीक्षण किया, जहां सड़क निर्माण, फुटपाथ कार्य, मरम्मत और ट्रैफिक की वजह से धूल अधिक फैलती है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि सभी साइट्स पर सही बैरिकेडिंग, एंटी-डस्ट नेट, ट्रीटेड वॉटर से छिड़काव, मलबा उठाने और नियमों के पूर्ण पालन को सुनिश्चित किया जाए।

डीपीसीसी ने जानकारी दी कि दिल्ली में 1,800 से अधिक फील्ड स्टाफ और 35 विशेष डीपीसीसी टीमें- एमसीडी,डीडीएस पीडब्ल्यूडी,एनडीएमसी, कृषि, राजस्व विभाग और ट्रैफिक पुलिस समेत—लगातार काम कर रही हैं।

समीक्षा के दौरान मंत्री ने बताया कि शहर के 62 से अधिक ट्रैफिक प्रोन हॉटस्पॉट्स पर डीपीसीसी और एमडीसी ने सफाई, धूल दबाने और कचरा उठाने की गतिविधियां तेज की हैं। उन्होंने निर्देश दिया कि इन हॉटस्पॉट्स पर समयबद्ध छिड़काव, सख्त निर्माण अनुपालन, नियमित सफाई और सुबह–शाम की रिपोर्ट के आधार पर तुरंत सुधारात्मक कार्रवाई हो।

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हिन्दुस्थान समाचार / धीरेन्द्र यादव