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जयपुर, 2 नवंबर (हि.स.)। जवाहर कला केंद्र जयपुर की ओर से आयोजित ‘म्यूज़िकल सिम्फनी’ कार्यक्रम की रविवार को सुमधुर शुरुआत हुई। तीन दिवसीय इस कार्यक्रम के पहले दिन सुरों, ग़ज़लों और शास्त्रीय संगीत की जुगलबंदी ने शाम को खास बना दिया। इस दौरान जयपुर कलेक्टर श्री जितेन्द्र सोनी, केन्द्र की अतिरिक्त महानिदेशक सुश्री प्रियंका राठौड़ व बड़ी संख्या में कलाकार मौजूद रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत गायिका अलीना भारती ने ओल्ड मेलोडी गीतों से की। उन्होंने “मेरी आवाज़ ही मेरी पहचान है” गीत से माहौल में सुरीले रंग घोले। इसके बाद “तू जहाँ जहाँ रहेगा मेरा साया साथ होगा”, “पिया तोसे नैना लागे रे” और “दिल चीज़ क्या है आप मेरी जान लीजिए” जैसी लोकप्रिय रचनाओं ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम के अंत में उन्होंने “रंजिश ही सही” और “आज जाने की ज़िद न करो” जैसी ग़ज़लों से सुरमयी माहौल को भावनाओं से भर दिया। तबले पर मोहित चौहान, गिटार पर नदीम अली, की-बोर्ड पर ईशान खान, हारमोनियम पर शेर खान ने संगत की।
इसके बाद जुगलबंदी की वो मनमोहक प्रस्तुति हुयी जिसके लिए बड़े जज्बा से श्रोता इंतजार कर रहे थे। बांसुरी वादक अश्विन श्रीनिवासन और तबला वादक ओजस अढ़िया की जबरदस्त जुगलबंदी ने महफिल में जान भर दी। उन्होंने सबसे पहले राग पूरियाधनश्री को अपनी प्रस्तुति का आधार बनाया। विलंबित एक ताल में बड़ा ख्याल की प्रस्तुति दी गयी। इसके बाद मध्यलय तीन ताल में बंदिश 'पायलिया की झंकार' से श्रोताओं के मन में सुरीली झंकार उठी। द्रुत तीन ताल में छोटा ख्याल की अश्विन श्रीनिवासन की बंदिश 'चैन ना आवे' के साथ महफिल आगे बढ़ी। राग भूपाली की बंदिश 'प्रभु मोरी अरज सुनो' की प्रस्तुति ने माहौल को आध्यात्मिक बना दिया।
गौरतलब है कि अश्विन श्रीनिवासन ऑल इंडिया रेडियो के ए-ग्रेड कलाकार, सुर-मणि पुरस्कार से सम्मानित और ए.आर. रहमान के बैंड के प्रमुख सदस्य हैं। वहीं देश के सुप्रसिद्ध तबला वादक ओजस अढ़िया, उस्ताद बिस्मिल्लाह ख़ाँ युवा पुरस्कार से सम्मानित हैं और उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भारत के सबसे युवा तबला वादक के रूप में दर्ज है। वहीं अलीना भारती ‘सुपर सिंगर प्लस राजस्थान’ की विजेता और ‘सा रे गा मा पा’ की टॉप 30 फाइनलिस्ट रहीं है।
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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश