बुद्ध और शंकराचार्य को एक साथ जगह देती है काशी : आचार्य मिथिलेशनन्दिनीशरण
वाराणसी, 16 नवंबर (हि.स.)।मिथिलेशनन्दिनीशरण महाराज ने अपनी ही आग में जो जल मरे, जहां अधजली चिताओं से मिलकर, रचा है शब्दोत्सव (काशी), इन पंक्तियों को रखते हुए कहा कि काशी के अर्थों में महत्वपूर्ण है ''उत्सव'। अब ''उत्सव'' कम रह गए हैं। शब्दोत्स

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