पहाड़ी दिवस: नई पीढ़ी में डालें पहाड़ी के संस्कार : के.आर. पंछी
जिला स्तरीय पहाड़ी दिवस के अवसर पर मुख्यअतिथि के.आर. पंछी का संबोधन।


मंडी, 01 नवंबर (हि.स.)। पहाड़ी को अगर भाषा का स्वरूप प्रदान करना है तो आंचलिक बोलियों के बीच समन्वय स्थापित करना होगा। भाषा एवं संस्कृति विभाग मंडी की ओर से जिला स्तरीय पहाड़ी दिवस का आयोजन किया गया। इस अवसर पर पहाड़ी के मशहूर गीतकार एवं कवि के.आर. पंछी ने बतौर मुख्यअतिथि शिरकत की। जबकि पहाड़ी कवि एवं टांकरी के विद्वान जगदीश कपूर ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की।

जिला भाषा अधिकारी रेवती सैनी ने बताया कि विभाग की ओर से हर वर्ष पहली से सात नवंबर तक पहाड़ी सप्ताह को आयोजन किया जाता है। इसी कड़ी में शनिवार को पहाड़ी कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। जबकि आगामी तीन नवंबर को स्कूली बच्चों की मंडयाली में भाषण, पहेलियां , लोकोक्तियां व महावरे प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है जिसमें मंडी जिला के विभिन्न स्कूलों के छात्र शिरकत करेंगे। उन्होंने बताया कि किव गोष्ठी में करीब तीस कवियों ने शिरकत कर पहाड़ी की बोली मंडयाली में अपनी कविताओं का पाठ किया।

इस अवसर पर मुख्यअतिथि के.आर. पंछी ने कहा कि नई पीढ़ी में पहाड़ी भाषा के संस्कार डालने से पहाड़ी का भविष्य उज्जवल होगा। उन्होंने कहा कि पहाड़ी के उत्थान में पूर्व मंत्री स्व. लालचंद प्रार्थी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने बताया कि पंजाब के पहाड़ी क्षेत्रों को पहाड़ी बोली के आधार पर ही हिमाचल में शामिल किया गया था।

पंछी ने बताया कि उन्हें भी पहाड़ी में लिखने के लिए स्व. लाल चंद प्रार्थी ने ही प्रेरित किया था। उन्होंने कहा कि पहाड़ी भाषा को अगर वजूद में आना है तो आंचलिक बोलियों के बीच तालमेल बिठाना आवश्यक्ता है। जिसके लिए हर जिला में कार्यशालाएं लगाकर युवाओं को इसके लिए प्रेरित किया जाना चाहिए।

वहीं पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जगदीश कपूर ने कहा कि पहाड़ी को घर से ही महत्व दिया जाना चाहिए। अगर मातायें घर पर अपने बच्चों से मंडयाली में बात करेगी तो उन्हें अपनी मां बोली के बारे जानकारी मिलेगी। इस अवसर पर आयोजित कवि गोष्ठी में कवियों ने बहुत ही बेहतरीन रचनाओं का पाठ किया।

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हिन्दुस्थान समाचार / मुरारी शर्मा