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कोलकाता, 01 नवंबर (हि.स.)। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने शनिवार को दावा किया कि पश्चिम बंगाल के बिरभूम जिले की निर्वासित सोनाली बीबी के माता-पिता वर्ष 2002 की मतदाता सूची में भारतीय नागरिक के रूप में दर्ज थे। पार्टी ने विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को बंगाल और बंगालियों की पहचान पर हमला करार दिया है।
गौरतलब है कि, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सितंबर में केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि गर्भवती सोनाली बीबी और उनके परिजनों को एक महीने के भीतर भारत वापस लाया जाए। हालांकि केंद्र सरकार ने इस आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है।
तृणमूल ने सोशल मीडिया पोस्ट में आरोप लगाया कि सोनाली खातून का निर्वासन सिर्फ प्रशासनिक क्रूरता नहीं, बल्कि सोची-समझी राजनीतिक चाल है जब उनके माता-पिता वर्ष 2002 की मतदाता सूची में भारतीय नागरिक दर्ज हैं, तब एक गर्भवती महिला को अवैध घुसपैठिया बताना न सिर्फ अमानवीय, बल्कि संदेहास्पद भी है।
पार्टी ने कहा कि यह प्रकरण दिखाता है कि पहचान और नागरिकता के नाम पर आम लोगों को परेशान किया जा रहा है। तृणमूल ने जोर देकर कहा कि जिस राज्य ने स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया, आज वहीं के लोगों को नागरिकता के सबूत लेकर अपनी पहचान सिद्ध करनी पड़ रही है।
तृणमूल ने चुनाव आयोग और केंद्र सरकार से आग्रह किया कि विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया को मानवीय और पारदर्शी तरीके से संचालित किया जाए, ताकि किसी नागरिक के साथ अन्याय न हो।----------------
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर