दिव्यांगजन आत्मबल और संस्कृति के प्रतीक : न्यायमूर्ति विजयलक्ष्मी
प्रयागराज, 5 अक्टूबर (हि.स.)। “दिव्यांगजन केवल प्रेरणा नहीं, बल्कि समाज के लिए आत्मबल और संस्कृति के जीवंत प्रतीक हैं। हमें इनके कौशल, आत्मविश्वास और सांस्कृतिक ऊर्जा से सीख लेने की आवश्यकता है। समाज तभी समृद्ध हो सकता है जब अपने हर वर्ग को सम्मान और

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