जगदलपुर : बारहमासी आवागमन की सुविधा से बस्तर की सुदूर बसाहटें अब मुख्यधारा से जुड़ीं
बारहमासी आवागमन की सुविधा से बस्तर की सुदूर बसाहटें अब मुख्यधारा से जुड़ीं


जगदलपुर, 31 अक्टूबर (हि.स.)। शासन की आदिवासी बहुल इलाकों में बारहमासी आवागमन सुविधा उपलब्ध कराने के फलस्वरूप बस्तर जिले के दूरस्थ क्षेत्रों के आदिवासी बसाहटें, अब प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) की बदौलत पक्की सड़कों के द्वारा शहरों से जुड़ चुकी हैं। वर्ष 2000-01 से शुरू हुई इस यात्रा में अब तक डामरीकृत, सीमेंट कांक्रीट और नवोन्मेषी तकनीकों से 856 करोड़ 80 लाख रुपये से अधिक की राशि से कुल 2388.24 किलोमीटर लंबी सड़कों का निर्माण पूरा हो चुका है। ये सड़कें सिर्फ चलने की राह नहीं, बल्कि जिंदगियों को जोड़ने वाली जीवन रेखाएं हैं। जिले में वामपंथी उग्रवाद से सबसे अधिक प्रभावित दरभा, बास्तानार, लोहंडीगुड़ा जैसे विकासखंडों में बनी इन सड़कों ने 1420 बसाहटों को पहली बार शहरों से सीधा संपर्क दिया। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजनांतर्गत जिले में कुल 451 सड़कें स्वीकृत हुईं, जिनमें से सभी पूर्ण हो चुकी हैं। पीएमजीएसवाई फेज-1 के तहत 426 सड़कें 1993.51 किलोमीटर लंबी, पीएमजीएसवाई फेज-2 के तहत 5 सड़कें 94.35 किलोमीटर और पीएमजीएसवाई फेज-3 के तहत 20 सड़कें 300.38 किलोमीटर की बनीं। इनके साथ ही 42.30 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित 16 वृहद पुल भी पूरे हो चुके हैं।

लेकिन बस्तर में सड़कों के विस्तार की यह कहानी यहीं खत्म नहीं हो रही। वर्ष 2025-26 में पीएम-जगुआ और पीएमजीएसवाई फेज-4 के नए चरण में 295 बसाहटों का सर्वेक्षण आधुनिक जीओ सड़क ऐप और ड्रोन तकनीक की मदद से पूरा किया गया है। इनमें से बैच-1 के तहत 87 सड़कों का विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन (डीपीआर) तैयार कर केंद्र सरकार को स्वीकृति के लिए भेजा जा चुका है। इन नई सड़कों में जलवायु अनुकूल डिजाइन, सौर ऊर्जा से संचालित स्ट्रीट लाइट और वर्षा जल संचयन की व्यवस्था भी शामिल की जा रही है, ताकि बस्तर का विकास टिकाऊ और पर्यावरण अनुकूल हो।

ग्रामीणों की जुबानी सुनें तो बदलाव साफ दिखता है। दरभा ब्लॉक के ककनार गांव की 65 वर्षीय बुधरी बाई कहती हैं, “पहले बीमारी में बेटा कंधे पर उठाकर ले गया था, अब गाड़ी आती है, दवा मिलती है, जिंदगी बचती है।” तोकापाल की छात्रा कविता नाग बताती हैं, “अब कॉलेज जाने में डर नहीं लगता। सड़क है, तो सपना भी पूरा होने की उम्मीद है।” स्थानीय व्यापारी रामू कश्यप कहते हैं, “महुआ और इमली पहले सस्ते में बिचैलिए ले जाते थे। अब खुद वाहनों से बाजार ले जाते हैं, दाम अच्छा मिलता है।” प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना ने हमें सिर्फ सड़कें नहीं, बल्कि आत्मविश्वास दिया है। यह विकास की वह नींव है, जिस पर बस्तर का भविष्य खड़ा हो रहा है। यह योजना न केवल बस्तर, बल्कि पूरे देश के लिए ग्रामीण सशक्तिकरण की एक मिसाल बन गई है।

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हिन्दुस्थान समाचार / राकेश पांडे