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फिल्ममेकर अरण्या सहाय द्वारा निर्देशित समीक्षकों द्वारा सराही गई फिल्म 'ह्यूमन्स इन द लूप’ अब दुनिया भर के दर्शकों के लिए उपलब्ध होने जा रही है। यह चर्चित फिल्म 31 अक्टूबर को नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम की जाएगी। फिल्म को एआई और मानव श्रम के जटिल संबंधों के भावनात्मक चित्रण के लिए कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सराहना मिली है।
एआई के पीछे छिपे 'मानव हाथों' की कहानी
'ह्यूमन्स इन द लूप' की कहानी ग्रामीण भारत की एक आदिवासी महिला के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक डेटा-लेबलिंग सेंटर में काम करती है और एआई सिस्टम को ट्रेन करने में मदद करती है। उसकी रोज़मर्रा की जिंदगी के ज़रिए फिल्म यह दिखाती है कि कैसे आधुनिक तकनीक की नींव उन लोगों के श्रम और भावनाओं पर टिकी है, जो अक्सर अनदेखे रह जाते हैं। फिल्म एक साथ तकनीकी, सांस्कृतिक और मानवीय परतों को खोलते हुए दर्शक को गहराई से झकझोरती है। यह फिल्म स्टोरीकल्चर की इम्पैक्ट फेलोशिप और सॉव फिल्म्स के सहयोग से बनी है। निर्माण की कमान संभाली है राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक बीजू टोप्पो और प्रशंसित फिल्ममेकर-प्रोड्यूसर किरण राव ने, जिन्होंने इसके सिनेमाई रूप को आकार देने में अहम भूमिका निभाई।
किरण राव की प्रतिक्रिया
फिल्म को लेकर किरण राव ने कहा, पहली बार जब मैंने 'ह्यूमन्स इन द लूप' देखी, तो इसकी ईमानदारी और दूरदर्शिता ने मुझे गहराई से प्रभावित किया। यह उस अदृश्य श्रम की बात करती है जो हमारी आधुनिक दुनिया को जीवित रखता है। मुझे खुशी है कि अब यह फिल्म नेटफ्लिक्स पर अपने वैश्विक दर्शकों तक पहुंचेगी, जो इसकी कहानी में खुद का एक अक्स देख पाएंगे।
अंतरराष्ट्रीय प्रशंसा और पुरस्कार
'ह्यूमन्स इन द लूप' कई अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में सर्वश्रेष्ठ फिल्म पुरस्कार जीत चुकी है और अंतरराष्ट्रीय फिल्म समीक्षक संघ इंडिया अवॉर्ड से भी सम्मानित हुई है। फिल्म को तकनीक, नैतिकता और प्रतिनिधित्व के बीच के जटिल संतुलन पर अपनी सूक्ष्म दृष्टि के लिए सराहा गया है। समीक्षक इसे उस नई वैश्विक चर्चा की शुरुआत मानते हैं, जो यह पूछती है कि 'आखिर एआई को वास्तव में कौन बना रहा है?'
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हिन्दुस्थान समाचार / लोकेश चंद्र दुबे