बस्तर में नक्स्ली संगठन को जिंदा रखने की अंतिम कड़ी हिड़मा के खात्में से हाेगा नक्सलवाद का अंत
मोस्ट वांटेड नक्सली माड़वी हिड़मा


जगदलपुर, 31 अक्टूबर(हि.स.)। बस्तर में नक्सली संगठन

के नेता और छोटे कैडर के लड़ाके अपने अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। केंद्र

और राज्य की सरकार ने अगले साल मार्च के आखिर तक बस्तर समेत देश के सभी नक्सल

प्रभावित राज्यों से नक्सलवाद के समूल नाश का संकल्प लिया है। सैकड़ाें की संख्या में आत्मसमर्पणें एवं गिरफ्तारियों के बावजूद सरकार से सवाल

किया जा रहा है, कि आखिर हिडमा कब आत्मसमर्पण करेगा? वह आत्मसमर्पण करेगा या पुलिस उसके खिलाफ

कोई विशेष रणनीति अपनाएगी? हिड़मा नक्सलियों की मिलिट्री विंग का

बड़ा लीडर है। यदि वह हथियार छोड़ता है या फिर इसका

एनकाउंटर होता है, तो बस्तर से नक्सलवाद और नक्सलियों की मिलिट्री लगभग खत्म हो

जाएगी। क्योंकि हिड़मा ही आदिवासियों को हथियार पकड़वाने और बस्तर में नक्स्ली

संगठन को जिंदा रखने की एक मात्र कड़ी बाकी है। पुलिस की सूची में माड़वी हिड़मा मोस्ट

वांटेड नक्सली है।

आंध्र प्रदेश और

तेलंगाना में नक्सल घटनाओं के साथ ही नक्सलवाद लगभग खत्म हो गया है। यहां के 80 प्रतिशत बड़े कैडर्स के नक्सली छत्तीसगढ़

में बस्तर के अलग-अलग लोकेशन में शिफ्ट हो गए थे, लेकिन अब यहां भी फोर्स का दबाव है। साल 2022 की सूची के मुताबिक पोलित ब्यूरो में 5 और सेंट्रल कमेटी में 18 नक्सली थे। लेकिन, सालभर के अंदर ही पोलित ब्यूरो मेंबर

बसवा राजू समेत अन्य 13 से ज्यादा टॉप लीडर के नक्सली मारे गए

हैं। जबकि, सीसीएम भूपति और रूपेश समेत अन्य नक्सलियों ने

हिंसा का रास्ता छोड़कर आत्मसमर्पण कर दिया है। यानी अब ये साफ है कि नक्सलियों की

लीडरशिप अब लगभग खत्म हो गई। पूरी तरह बिखर चुके नक्सली संगठन को लीड करने और इनके राजनीतिक और मिलिट्री स्ट्रक्चर में

संगठन को लेकर निर्णय लेने वाला कोई टॉप लीडर अब तक तय नहीं हो पाया है। नक्सली संगठन लगभग पूरी तरह बिखर चुका है। बस्तर में फोर्स को फ्री हैंड छोड़ा गया

है, जवान अटैकिंग मोड पर काम कर रहे हैं। यही वजह है कि पिछले करीब डेढ़ साल में 450 से ज्यादा नक्सली मुठभेड़ में मारे जा चुके है। नक्सलियों ने स्वयं भी कबूल

किया है कि संगठन कमजोर हुआ है।

बस्तर आईजी पी.

सुंदरराज ने बताया कि एक समय था जब नक्सलियों के पोलित ब्यूरो और सेंट्रल कमेटी

में 45 सदस्य हुआ करते थे, लेकिन 2025 की शुरुआत में इनकी संख्या घटकर 18 रह गई है। फिलहाल 2025 का अंत आते-आते महज 6 से 7 सेंट्रल कमेटी और पोलित ब्यूरो मेंबर शेष बचे हैं, जो दक्षिण बस्तर के जंगलों में छिपे हुए

हैं। आईजी ने दक्षिण बस्तर में छिपे नक्सलियों से अपील करते हुए चेतावनी दी है कि, अब भी समय है, वे आत्मसमर्पण कर दें, अन्यथा बस्तर में

तैनात डीआरजी समेत तमाम सुरक्षाबल के जवान उनसे निपटने के लिए तैयार बैठे हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / राकेश पांडे