बंगाल में एसआईआर की निगरानी के लिए निर्वाचन आयोग गठित कर सकता है संयुक्त समिति
चुनाव अधिकारी


कोलकाता, 31 अक्टूबर (हि.स.)। भारत निर्वाचन आयोग पश्चिम बंगाल की सभी 274 विधानसभा क्षेत्रों में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए संयुक्त पर्यवेक्षण समितियां गठित करने पर विचार कर रहा है।

यह प्रस्ताव कई राजनीतिक दलों द्वारा दिया गया है। इसमें सुझाव दिया गया है कि प्रत्येक समिति में मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय और विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाए ताकि पुनरीक्षण प्रक्रिया पर पूर्ण निगरानी रखी जा सके और पारदर्शिता बनी रहे।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय के सूत्रों के अनुसार, इस कदम का उद्देश्य उन चिंताओं का समाधान करना है जो कई राजनीतिक दलों ने इस प्रक्रिया की निष्पक्षता और परिणाम को लेकर व्यक्त की हैं। एक अधिकारी ने बताया कि निर्वाचन क्षेत्रवार संयुक्त पर्यवेक्षण समिति बनने से विवादों की संभावना घटेगी और जनता का भरोसा बढ़ेगा।

सूत्रों के मुताबिक, आयोग ने इस प्रस्ताव को सार्थक माना है और इसे संभावित विवादों से बचाव का एक प्रभावी माध्यम समझा है। गौरतलब है कि 12 राज्यों, जिनमें पश्चिम बंगाल भी शामिल है, में इस विशेष गहन पुनरीक्षण की तीन चरणों वाली प्रक्रिया 4 नवम्बर से शुरू होगी।

इस बीच, मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय के कड़े निर्देशों के बाद राज्य के सभी एक सौ तैंतालीस ‘अनिच्छुक’ बूथ स्तर अधिकारी निर्धारित समय सीमा के भीतर ड्यूटी पर लौट आए हैं। ये अधिकारी पहले अपने नियुक्ति पत्र लेने से इनकार कर चुके थे, लेकिन चेतावनी के बाद सभी ने गुरुवार दोपहर तक अपनी ड्यूटी जॉइन कर ली।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने स्पष्ट कर दिया था कि ड्यूटी से इनकार करने वाले सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ निलंबन या कानूनी कार्रवाई की सिफारिश की जा सकती है।

वहीं, दिलचस्प बात यह है कि जहां कुछ कर्मचारी बूथ स्तर अधिकारी के रूप में कार्य करने से हिचकिचा रहे थे, वहीं कई अन्य सरकारी कर्मचारियों ने शिकायत की कि उन्हें इस प्रक्रिया में शामिल नहीं किया गया।

सूत्रों के अनुसार, कई कर्मचारियों ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय को पत्र लिखकर बताया कि वे इस प्रक्रिया में शामिल होना चाहते थे, लेकिन चयन न होने से वे निराश हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर