(अपडेट) स्वतंत्र भारत की एकता और अखंडता को सरदार पटेल ने किया सुदृढ़ : रेखा गुप्ता
विश्वास नगर में प्रशिक्षण निदेशालय ( यूटीसीएस) में सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के अवसर पर आयोजित ‘राष्ट्र की एकता और सिविल सेवाओं की भूमिका’ सेमिनार में अपने विचार साझा करती  दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता


नई दिल्ली, 31 अक्टूबर (हि.स.)। सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के अवसर पर शुक्रवार को विश्वास नगर स्थित प्रशिक्षण निदेशालय (यूटीसीएस) में एक विशेष सेमिनार का आयोजन किया गया। इस अवसर पर दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने सरदार वल्लभभाई पटेल के भारत के एकीकरण तथा स्वतंत्र भारत की प्रशासनिक नींव के निर्माण में उनके अद्वितीय योगदान को नमन किया। सेमिनार में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल के अदम्य साहस, दूरदर्शिता और उत्कृष्ट संगठन कौशल ने स्वतंत्र भारत की एकता और अखंडता को सुदृढ़ किया। उन्होंने कहा कि आज के इस अवसर पर सभी को सरदार पटेल की प्रेरणा को आत्मसात करने की आवश्यकता है।

इस कार्यक्रम में दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव राजीव वर्मा, प्रशिक्षण निदेशक प्रशांत गोयल तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थिति रहे। सेमिनार का मुख्य विषय सरदार पटेल के जीवन, उनके आदर्शों, उनकी प्रतिबद्धता तथा सिविल सेवाओं को सुदृढ़ बनाने में उनके योगदान पर केंद्रित रहा। अपने संबोधन में उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने सरदार पटेल की उस दूरदर्शी सोच का उल्लेख भी किया, जिसमें उन्होंने सिविल सेवाओं को राष्ट्र की ‘स्टील फ्रेम’ कहा था। उपराज्यपाल ने आज के अधिकारियों से विनम्रता, लचीलापन और जनसेवा के प्रति पूर्ण समर्पण का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल न केवल स्वतंत्र भारत के प्रमुख शिल्पकारों में से एक थे, बल्कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद के प्रारंभिक वर्षों में उन्होंने मातृवत स्नेह से राष्ट्र का पोषण किया।

उन्होंने यह भी कहा कि सरदार पटेल के नेतृत्व, दृढ़ संकल्प और एक सशक्त व एकीकृत भारत की उनकी दृष्टि ने देश की प्रशासनिक और लोकतांत्रिक संरचना की नींव रखी।

उपराज्यपाल ने कहा कि आज के सिविल सेवकों के सामने तकनीकी बदलाव, सामाजिक विषमताएं, पर्यावरणीय चुनौतियां और युवा भारत की बढ़ती आकांक्षाओं जैसी बहुआयामी परिस्थितियां हैं। उन्होंने कहा कि अब अधिकारियों की भूमिका केवल प्रशासक तक सीमित नहीं है, बल्कि उन्हें नवप्रवर्तक, संवादकर्ता, सहयोगी और परिवर्तन के नेतृत्वकर्ता के रूप में भी कार्य करना होगा। उन्होंने अधिकारियों से पारदर्शिता, नैतिकता और अंत्योदय अर्थात् अंतिम व्यक्ति तक सेवा की भावना को अपने कार्य का मूल बनाने का आग्रह किया।

उपराज्यपाल ने यूटीसीएस जैसी संस्थाओं की सराहना की जो प्रशिक्षण और नेतृत्व विकास के माध्यम से भावी प्रशासकों को तैयार कर रही हैं। उन्होंने कहा कि सच्ची प्रशासनिक उत्कृष्टता केवल प्रशिक्षण से नहीं, बल्कि चरित्र, करुणा और समर्पण से आती है। सरदार पटेल की दृष्टि को स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि शासन पारदर्शी, जवाबदेह और जनोन्मुखी हो।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि सरदार पटेल के अदम्य साहस, दूरदर्शिता और उत्कृष्ट संगठन कौशल ने स्वतंत्र भारत की एकता और अखंडता को सुदृढ़ किया। उन्होंने कहा कि आज के इस अवसर पर सभी को सरदार पटेल की प्रेरणा को आत्मसात करने की आवश्यकता है, जिनके नेतृत्व में देश की बिखरी हुई रियासतें एक सूत्र में बंधकर ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ का स्वरूप बनीं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सिविल सेवक देश की प्रशासनिक मशीनरी का सशक्त इंजन हैं और देश की प्रगति की दिशा तय करने में उनकी भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि यदि सरकार किसी वाहन का स्टीयरिंग है, तो सिविल सेवक उसका इंजन हैं, जो उसे आगे बढ़ाते हैं। किसी भी योजना या नीति को ज़मीन पर उतारने का श्रेय इन्हीं अधिकारियों की निष्ठा और कर्मठता को जाता है।

मुख्यमंत्री ने नवप्रशिक्षु अधिकारियों का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रशिक्षण और शिक्षा केवल उपकरण प्रदान करते हैं, परंतु उनका उपयोग किस दिशा में करना है, यह अधिकारी की नीयत, दृष्टिकोण और ऊर्जा पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि हमारे निर्णय, हमारी संवेदनशीलता और हमारी निष्ठा ही यह तय करती है कि हम केवल नौकरी कर रहे हैं या देश की सेवा कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सिविल सेवाओं में शामिल होना केवल एक पेशा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय दायित्व का निर्वहन है। उन्होंने कहा कि यह केवल नौकरी नहीं, बल्कि उस सेना का हिस्सा बनने का अवसर है जो देश को आगे बढ़ाने का कार्य करती है। प्रत्येक अधिकारी को अपने कार्य में दृष्टि और गहराई जोड़नी चाहिए ताकि उसका योगदान देश की दिशा और दशा को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सके।

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हिन्दुस्थान समाचार / धीरेन्द्र यादव