राष्ट्रीय एकता दिवस पर इतिहास विभाग द्वारा सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती का आयोजन
सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के अवसर पर ।


मंडी, 31 अक्टूबर (हि.स.)। सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के पावन अवसर पर सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी के इतिहास विभाग द्वारा राष्ट्रीय एकता दिवस का आयोजन किया गया। यह आयोजन भारत की अखंडता, एकता और संगठन के उस आदर्श का पुनर्स्मरण था, जिसे लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल ने अपने जीवन एवं कर्म से चरितार्थ किया। कार्यक्रम का शुभारंभ विश्वविद्यालय परिसर में स्थापित सरदार पटेल की प्रतिमा पर माल्यार्पण से हुआ, जिसके पश्चात राष्ट्रीय एकता शपथ के साथ कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत की गई।

विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य (डॉ.) ललित कुमार अवस्थी ने आभासी माध्यम से अपने प्रेरक संदेश में सरदार पटेल को भारतीय एकता के शिल्पी के रूप में नमन करते हुए कहा कि पटेल ने जिस अदम्य इच्छाशक्ति, संगठन-शक्ति और अटूट राष्ट्रनिष्ठा के बल पर सैकड़ों रियासतों को एक सूत्र में पिरोया, वह भारतीय राज्य-निर्माण की अनूठी गाथा है। आज का युवा वर्ग यदि उनके आदर्शों को आत्मसात करे, तो भारत विश्व में एकता और समरसता का उदाहरण प्रस्तुत कर सकता है।

आचार्य राजेश कुमार शर्मा, अधिष्ठाता छात्र कल्याण, ने इस अवसर पर सभी उपस्थितों को राष्ट्रीय एकता की शपथ दिलाई तथा युवाओं से आह्वान किया कि वे सामाजिक सद्भाव, सांस्कृतिक एकात्मता और राष्ट्रनिष्ठा को अपने आचरण का आधार बनाएं। कार्यक्रम के प्रारंभ में विभागाध्यक्ष डॉ. राकेश कुमार शर्मा ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि विभाग द्वारा वर्षभर सरदार पटेल की 150वीं जयंती को समर्पित अनेक शैक्षणिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक गतिविधियाँ आयोजित की गई हैं।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय एकता दिवस सरदार पटेल के उस जीवन-दर्शन की स्मृति है, जिसने भारत को राज्य नहीं, राष्ट्र के रूप में परिभाषित किया। इस अवसर पर विद्यार्थियों ने सरदार पटेल के जीवन, उनके राजनीतिक निर्णयों, नेतृत्व-शैली तथा भारत के एकीकरण में उनके योगदान की समकालीन प्रासंगिकता पर अपने विचार व्यक्त किए। वक्तव्यों में यह भाव प्रमुख रूप से उभरा कि पटेल की संगठनात्मक दृष्टि और प्रशासनिक कुशलता आज भी आधुनिक भारत के शासन-तंत्र के लिए मार्गदर्शक है।

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हिन्दुस्थान समाचार / मुरारी शर्मा