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शिमला, 31 अक्टूबर (हि.स.)। संजौली मस्जिद विवाद मामले में शिमला जिला अदालत के फैसले को देवभूमि संघर्ष समिति ने ऐतिहासिक करार दिया है। समिति ने कहा कि यह फैसला न्याय की जीत है और शिमला की जनता के विश्वास की पुनर्स्थापना करता है। समिति के संयोजक भारत भूषण ने शुक्रवार को शिमला में पत्रकार वार्ता में कहा कि अदालत ने नगर निगम आयुक्त के तीन मई 2024 के फैसले को सही ठहराया है, जिसमें संजौली मस्जिद को अवैध निर्माण घोषित करते हुए उसे गिराने के आदेश दिए गए थे।
भारत भूषण ने कहा कि इस फैसले से प्रदेशवासियों में खुशी की लहर है। उन्होंने कहा कि अब जब जिला अदालत ने साफ तौर पर यह तय कर दिया है कि संजौली की मस्जिद अवैध निर्माण है, तो नगर निगम को बिना देरी किए इसे गिराने की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए। भारत भूषण ने कहा कि देवभूमि संघर्ष समिति जल्द ही नगर निगम आयुक्त को ज्ञापन सौंपकर कार्रवाई शुरू करने की मांग करेगी।
उन्होंने मस्जिद कमेटी के उस बयान पर भी सवाल उठाया जिसमें उसने फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील करने की बात कही है। भारत भूषण ने कहा कि यह मुस्लिम पक्ष का दोहरा चरित्र है क्योंकि विवाद के दौरान खुद मस्जिद कमेटी ने अवैध निर्माण तोड़ने की पेशकश की थी, जबकि अब फैसले के खिलाफ अपील में जाने की बात कही जा रही है।
समिति संयोजक ने प्रदेश सरकार और शिमला पुलिस प्रशासन पर भी गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि पुलिस प्रशासन अब तक प्रदेश में बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों का पता नहीं लगा पाया है, लेकिन जो लोग अवैध अतिक्रमण और अवैध निर्माण के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं, उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आंदोलन करने वालों पर पहले लाठियां और वाटर कैनन चलाए गए, कई लोगों पर मामले दर्ज किए गए और अब उन्हें थाने बुलाकर डराया जा रहा है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और लोकतंत्र के लिए चिंताजनक है।
भारत भूषण ने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार और पुलिस प्रशासन मौलवी परस्त मानसिकता से काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि अदालत ने जब साफ तौर पर मस्जिद को अवैध घोषित कर दिया है, तो अब प्रशासन को फैसले का सम्मान करते हुए अवैध ढांचे को हटाने की दिशा में कदम उठाने चाहिए।
हिंदू पक्ष के वकील जगतपाल ने कहा कि जिला अदालत ने नगर निगम आयुक्त के फैसले को बरकरार रखा है और अब मस्जिद पर किसी प्रकार का स्टे नहीं है। ऐसे में नगर निगम को तत्काल अवैध निर्माण गिराने की कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि मस्जिद कमेटी के पास अब अपील का कोई प्रावधान नहीं है, केवल रिट याचिका का रास्ता बचा है।
देवभूमि संघर्ष समिति ने कहा कि यह फैसला सत्य और न्याय की जीत है। समिति ने उम्मीद जताई कि शिमला नगर निगम प्रशासन अदालत के आदेशों का सम्मान करते हुए जल्द से जल्द अवैध निर्माण को हटाने की प्रक्रिया शुरू करेगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा