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रांची, 31 अक्टूबर (हि.स.)। आदिवासी अधिकार राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष और त्रिपुरा विधानसभा में विपक्ष के नेता जीतेंद्र चौधरी ने कहा कि झारखंड में आदिम जनजातियों की अच्छी खासी संख्या होने के बावजूद वे विकास से वंचित हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से इनके विकास के कई दावे किए जाते हैं। लेकिन धरातल में स्थिति पूरी तरह से विपरित है। इसके लिए राज्य सरकार के साथ केन्द्र सरकार भी जिम्मेवार है। चौधरी शुक्रवार को आदिवासी अधिकार राष्ट्रीय मंच की राष्ट्रीय समन्वय समिति की रांची में आयोजित दो दिवसीय के बाद मीडिया से बात कर रहे थे।
उन्होंने बताया कि मंच की बैठक में सुभाष मुंडा की हत्या की जांच कराने की मांग की गई। उन्होंने कहा कि मुंडा के मुख्य हत्यारे और साजिशकर्ता की अबतक गिरफ्तारी नहीं होना चिंताजनक है। उन्होंने मामले में सरकार से हस्तक्षेप करने की मांग की। चौधरी ने कहा कि आदिवासी अधिकार राष्ट्रीय मंच एक अखिल भारतीय संगठन है, जो पूरे देश में आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए लगातार अभियान चला रही है।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो के ताजे आंकड़ों के अनुसार देश के 29 प्रतिशत आदिवासियों के खिलाफ हमले के मामले दर्ज किए गए हैं। यानि देश में प्रतिदिन आदिवासी हमले के शिकार होते हैं। इसी प्रकार आदिवासियों को मिले वन भूमि का पट्टा रद्द करने का मामला हो या युनियन बजट में आदिवासी उप योजनाओं के लिए आवंटित राशि का दुरुपयोग के मामले में भाजपा शासित राज्य अव्वल हैं।
मौके पर मंच के राष्ट्रीय संयोजक और पूर्व सांसद पुलिन बिहारी बास्की ने कहा कि देश में अब भी आदिवासी अधिकारों को लेकर संघर्ष कर रहा है। उन्होंने कहा कि मंच की राष्ट्रीय बैठक में आदिवासी बहुल इलाकों में खनन के चलते विस्थापन और प्रदूषण का बढता दायरा, वन संरक्षण कानून में कार्पोरेट पक्षीय संशोधन को लेकर एक बड़ा अभियान संगठित किया जाएगा।
प्रेस वार्ता में तमिलनाडु के पूर्व विधायक और मंच के प्रमुख नेता दिल्ली बाबू, रांची के जिला सचिव प्रकाश टोप्पो, डॉ किरती सिंह मुंडा, संयोजक सुखनाथ लोहरा सहित अन्य मौजूद थे।
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हिन्दुस्थान समाचार / Manoj Kumar