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जयपुर, 31 अक्टूबर (हि.स.)। नौ नवम्बर को हेरिटेज और ग्रेटर निगम का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। इसके बाद निगम एक हो जाएगा। चुनावों तक निगम का कार्यभार संभागीय आयुक्त संभालेंगे। संभागीय आयुक्त के कार्यकाल के दौरान निगम क्षेत्र में विकास के नए काम रुक सकते हैं। ऐसा माना जा रहा है कि निगम के चुनाव फरवरी के अंत तक हो सकते है। ऐसे में अगले चार माह के दौरान शहर में निगम द्वारा जरुरी सामान्य काम ही निपटाए जाएंंगे। नई कार्यकारिणी के गठन तक संभागीय आयुक्त की देखरेख में शहर से जुड़े सफाई, रोशनी, सीवरेज सहित अन्य जरुरी काम किए जाएंगे। इन कामों के लिए निगम प्रशासन को अपने स्त्रोतों से आय जुटानी होगी। जरुरत पडऩे पर सरकार से भी फंड लिया जा सकेगा, लेकिन आमजन से जुड़े काम यथावत चलते रहेंगे। संभागीय आयुक्त को शहर के विकास को लेकर नई योजना बनाने और उसे लागू करने के लिए सरकार या विभाग से मंजूरी लेनी होगी।
गौरतलब है कि जयपुर, जोधपुर और कोटा के दो-दो नगर निगम का विलय कर दिया गया और विलय के बाद उनके प्रशासक के रूप में संभागीय आयुक्तों को नियुक्त किया गया है। यह व्यवस्था तब तक लागू रहेगी जब तक कि नए बोर्ड का गठन नहीं हो जाता है, और इन संभागीय आयुक्तों के पास निर्वाचित बोर्ड की सभी शक्तियां होंगी। यह निर्णय शहरी प्रशासन में समन्वय और दक्षता बढ़ाने के लिए लिया गया है। यह बदलाव 9 नवंबर को मौजूदा बोर्डों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद प्रभावी होगा।
दिसंबर में 50 नगरीय निकायों में पूरा होगा कार्यकाल
स्वायत्त शासन निदेशालय के सूत्रों के मुताबिक इस साल दिसंबर में 50 नगरीय निकायों का कार्यकाल पूरा होगा। जबकि अगले साल जनवरी में 90 और फरवरी में एक निकाय का कार्यकाल पूरा होगा। साल 2019 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने जयपुर, जोधपुर और कोटा में वार्डों का पुनर्गठन कर दो-दो नगर निगम बनाए थे। उसके बाद प्रदेश में उस समय 196 नगरीय निकाय हो गए थे। इन्हीं सभी नगरीय निकायों में साल 2019 से 2021 तक चुनाव भी कराए गए। इसके बाद सरकार ने जनसंख्या के आधार पर कई ग्राम पंचायतों को नगरीय निकायों में क्रमोन्नत कर दिया। तब से अब तक 116 नए निकाय बनाए गए, जबकि 3 निकाय को खत्म करने की अधिसूचना कुछ माह पहले जारी की गई। इनमें जयपुर, जोधपुर और कोटा का एक-एक निकाय है। इस तरह अब कुल 309 निकाय हो गए।
इस संबंध में जयपुर ग्रेटर उपमहापौर पुनीत कर्णावट का कहना है कि निगम का कार्यकाल 9 नवंबर को समाप्त हो रहा है इसके बाद प्रशासक निगम का कार्य देखेंगे। हालांकि इससे वर्तमान में चल रहे विकास कार्य प्रभावित नहीं होंगे, लेकिन नए विकास कार्यो के होने पर सशंय उत्पन्न जरुर हो गया है। जनप्रतिनिधियों के होने से जनता भी सहज रूप से उनके पास अपनी समस्याओं और परेशानियों को लेकर आती है और जनप्रतिनिधि अपनी जिम्मेदारी मानकर उनका समाधान करवाया जाता है। जनप्रतिनिधि चुनावों में किए गए वादों के तहत विकास कार्य करवाते है। लेकिन प्रशासक को नए विकास कार्य करवाने के लिए सरकार और विभाग से परमिशन के साथ फंड भी लेना पड़ेगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / राजेश