Enter your Email Address to subscribe to our newsletters

कोलकाता, 31 अक्टूबर (हि.स.)। केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुकांत मजूमदार ने शुक्रवार को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम) कोलकाता में ‘इंडिया रिसर्च टूर 2025’ की शुरुआत की। यह अभियान भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएसएसआर), शिक्षा मंत्रालय और एक निजी संस्था के संयुक्त सहयोग से प्रारंभ किया गया है। इसका उद्देश्य भारत के शोध क्षेत्र में व्यापक समन्वय, सहयोग और पारदर्शिता को प्रोत्साहित करना है।
कार्यक्रम में डॉ. मजूमदार ने कहा कि राष्ट्र की एकता के प्रतीक सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती और राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर इस अभियान की शुरुआत का विशेष महत्व है। उन्होंने कहा, “नवाचार के बिना समाज स्थिर हो जाता है।” डॉ. मजूमदार ने बताया कि ‘इंडिया रिसर्च टूर 2025’ भारत की ज्ञान और सत्य की अनवरत खोज की सभ्यतागत परंपरा को प्रतिबिंबित करता है।
उन्होंने भारत के ‘ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स’ में पिछले पांच वर्षों में 81वें स्थान से बढ़कर 39वें स्थान पर पहुंचने का उल्लेख करते हुए कहा कि ‘वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन’ परियोजना और ‘अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन’ जैसी पहलें शोध तक पहुंच और उच्च-प्रभाव वाले अनुसंधान को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि ‘हर रिसर्च, अवर फ्यूचर’ पहल महिला शोधकर्ताओं को सशक्त बनाने के साथ ही देश के समग्र अनुसंधान पारिस्थितिकी को भी सुदृढ़ करेगी।
कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय की वैज्ञानिक ‘डी’ डॉ. हफ्सा अहमद, आईसीएसएसआर के सदस्य-सचिव प्रोफेसर धनंजय सिंह और आईआईएम कोलकाता के निदेशक डॉ. आलोक कुमार राय उपस्थित थे। उन्होंने ‘वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन’ योजना के मूल लक्ष्यों - मुक्त शोध पहुंच, अंतरविभागीय सहयोग और अनुसंधान के लोकतंत्रीकरण पर विशेष बल दिया।
उन्होंने बताया कि नवंबर, 2028 में केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत इस परियोजना के तहत देशभर की शैक्षणिक संस्थाएं 13 हजार से अधिक अंतरराष्ट्रीय प्रकाशनों तक पहुंच प्राप्त करेंगी, जिससे भारतीय शोध की वैश्विक उपस्थिति में कई गुना वृद्धि होगी।
‘इंडिया रिसर्च टूर 2025’ इस अभियान का तीसरा संस्करण है। यह यात्रा कुल 40 दिनों की होगी, जो दिल्ली से शुरू होकर अरुणाचल प्रदेश में समाप्त होगी। इस वर्ष का अभियान विशेष रूप से उत्तर-पूर्व भारत की अप्रकाशित शोध संभावनाओं पर केंद्रित रहेगा। इसका उद्देश्य शोधकर्ताओं, शिक्षण संस्थानों और औद्योगिक क्षेत्रों के बीच मजबूत समन्वय स्थापित कर एक समावेशी, नवोन्मेषी और वैश्विक स्तर से जुड़ा हुआ शोध परिवेश तैयार करना है।----------------------
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर