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--कोर्ट ने याचिका लम्बित रहने के दौरान विधि सम्मत कार्यवाही की दी छूट
प्रयागराज, 31 अक्टूबर (हि.स.)। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने फर्जी दस्तावेज से नौकरी हासिल करने के आरोपित की नियुक्ति निरस्त करने की वैधता की चुनौती याचिका पर राज्य सरकार व बेसिक शिक्षा अधिकारी एटा से छह हफ्ते में जवाब मांगा है।
कोर्ट ने अगली सुनवाई की तिथि 6 जनवरी नियत की है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि याचिका विचाराधीन होने के बावजूद प्राधिकारी याची के मामले में विधि सम्मत कार्यवाही कर सकेंगे। यह आदेश न्यायमूर्ति पी के गिरी ने पूर्व माध्यमिक विद्यालय नगला खिली, ब्लाक निधौली कला, एटा के हेड मास्टर रहे शशिकांत कुमार की याचिका पर दिया है।
मालूम हो कि याची की सहायक अध्यापक के रूप में 1992 में नियुक्ति की गई। शिकायत पर हाईस्कूल व इंटरमीडिएट के अंकपत्र का शिक्षा परिषद से सत्यापन कराया गया। परिषद के सचिव ने बताया कि याची हाईस्कूल में फेल था और इंटरमीडिएट का परिणाम निरस्त कर दिया गया था। जो भी अंकपत्र पेश कर नौकरी हासिल की है वे फर्जी कूटरचित है। जिस पर याची को कारण बताओ नोटिस दी गई और एफआईआर दर्ज की गई है।
सफाई संतोषजनक न होने के कारण याची की नियुक्ति शून्य करार देते हुए निरस्त कर दी गई और अब तक दिये गये वेतन की वसूली के लिए गणना की जा रही है।
कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाबी हलफनामा के साथ विवेचना के प्रगति की जानकारी भी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। याचिका में बीएसए एटा के 12 सितम्बर 25 के सेवा समाप्ति आदेश को चुनौती दी गई है।
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हिन्दुस्थान समाचार / रामानंद पांडे