राजा द्रुपद की पुत्री यज्ञसेनी का चरित्र सुन भाव विभोर हुए श्रद्धालु
कथा वाचक राघव दास महाराज


राधाकृष्ण मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन

मीरजापुर, 31 अक्टूबर (हि.स.)। अहरौरा नगर के सत्यानगंज स्थित राधा कृष्ण मंदिर में शुक्रवार को भव्य श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया गया। कथा वाचक राघव दास महाराज ने श्रद्धालुओं को अमृतमयी कथा का रसपान कराया और कहा कि पितरों के मोक्ष और आत्मिक शांति के लिए श्रीमद् भागवत कथा सुनना आवश्यक है।

कथा के दौरान राघव महाराज ने शुकदेवजी का आगमन, शुकदेव-परीक्षित संवाद और द्रौपदी चरित्र का जीवंत वर्णन किया। उन्होंने बताया कि राजा परीक्षित, जिन्हें तक्षक नाग के डसने से सातवें दिन मृत्यु का शाप मिला था, उन्होंने गंगा तट पर अनशन व्रत लिया और संतों के आशीर्वाद की कामना की। उसी समय शुकदेव जी ने उन्हें श्रीमद् भागवत कथा सुनाई, जिससे उनके जीवन का सार पूर्ण हुआ।

कथा वाचक ने द्रौपदी चरित्र का सार बताते हुए कहा कि राजा द्रुपद की पुत्री द्रौपदी, जो यज्ञ से उत्पन्न हुईं । इसलिए उन्हें यज्ञसेनी कहा गया। वह न केवल सौंदर्य और बुद्धिमत्ता की प्रतीक थीं, बल्कि अपने प्रतिरोध, साहस और नारीत्व की मर्यादा के कारण इतिहास में अमर हैं। द्रौपदी पांचों पांडवों की पत्नी बनीं और महाभारत युद्ध के प्रमुख कारणों में से एक रहीं। कथा के अंत में भक्तों ने भजन-कीर्तन कर भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट की। कार्यक्रम में ज्योतिषाचार्य डॉ. विजय शंकर मिश्र, राजकुमार केशरी, अशोक कुमार केशरी, संतोष केशरी सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / गिरजा शंकर मिश्रा