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—धान की पकी फसल भींगी,मड़ाई का कार्य बाधित,किसान चिंतित
वाराणसी,31 अक्टूबर (हि.स.)। धर्म नगरी वाराणसी सहित पूर्वांचल के जिलों में पिछले तीन दिनों से चक्रवात मोंथा के प्रभाव से हो रही कभी तेज तो कभी रिमझिम बारिश और बदली से बाजारों की रौनक गायब है। शहरी क्षेत्र के निचले इलाकों के गलियों और सड़कों पर जलजमाव और कीचड़ से वाहन चालकों खासकर दोपहिया वाहन चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
लोगों को अक्टूबर के आखिरी दिनों में सावन भादों माह के बारिश का अनुभव हो रहा है। तीन दिनों में लोगों को भगवान सूर्यदेव के दर्शन भी नहीं मिल पाया। बीते गुरूवार को ही बारिश का सर्वाधिक असर दिखा। मौसम विभाग के अनुसार बीते 09 सालों में वाराणसी में सबसे कम अधिकतम तापमान दर्ज किया गया। सुबह पॉच बजे से सात बजे तक और फिर शाम सात बजे के बजे के बाद पूरी रात रूक—रूक कर रिमझिम बारिश होती रही। इससे बीएचयू के सरसुंदरलाल अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के बाहर पानी भर गया। इससे मरीजों को काफी परेशानी हुई।
वहीं,वाराणसी और पूर्वांचल के जिलों के ग्रामीण अंचल में बारिश के चलते खेत में खड़ी पकी धान की फसल और कटाई के बाद खेत में पड़े फसल के गठ्ठर भींग गए है। लगातार बारिश से खेतों में आई नमी से फसल खराब होने की आशंका भी किसानों को सताने लगी है। किसान मौसम का बिगड़ा रूप देख कर चिंतित है। बंगाल की खाड़ी में बना गंभीर चक्रवाती तूफान 'मोंथा' के चलते तापमान भी गिर गया है। शुक्रवार को शाम चार बजे वाराणसी का अधिकतम तापमान 24 डिग्री सेल्सियस,आद्रता 100 फीसद और हवा की रफ्तार आठ किमी प्रतिघंटा दर्ज की गई।
मौसम विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट में एक नवंबर को भी बादलों की सक्रियता का संकेत दिया गया है। बताया गया कि चक्रवाती तूफान 'मोंथा' अब कमजोर होकर लो-प्रेशर सिस्टम में बदल गया है।
बीएचयू के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार भारी वर्षा की संभावना नहीं है, लेकिन कहीं-कहीं हल्की या छिटपुट वर्षा हो सकती है। छत्तीसगढ़ पहुंचने के बाद चक्रवात मोंथा कमजोर पड़ गया है और अब इसके प्रभाव के रूप में केवल बदली और फुहारें हैं। शनिवार से मौसम में सुधार की संभावना है।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी